रोहित कश्यप, मुंगेली। वन मण्डल के वन परिक्षेत्र खुड़िया में एकबार फिर बड़ी गड़बड़ी उजागर होने का मामला सामने है. जहां विभागीय उदासीनता के चलते सैकड़ों एकड़ वन भूमि का नियम विरुद्ध पट्टा वितरित कर देने की शिकायत कलेक्टर से की गई है. युवा कांग्रेस पदाधिकारी एवं सदस्यों ने जिला महासचिव अजय साहू के नेतृत्व में मुंगेली कलेक्टर राहुल देव को चार बन्दुओ में इस सम्बंध में लिखित में ज्ञापन सौंपकर जांच और फर्जी पाए जाने पर बांटे गए फर्जी पट्टे को निरस्त करने के साथ ही जारीकर्ता दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई है.

यह है पूरा मामला

शिकायत कर्ता का कहना है कि खुड़िया रेंज ऑफिस से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित कक्ष क्रमांक 492 RF और 488 RF के अलावा बिजराकछार के कक्ष क्रमांक 475 RF के अधिकतर जारी पट्टे की भूमि पर घने जंगल में आज भी हजारों हरे भरे पेड़ स्थित हैं.

उक्त वन भूमि की जमीन का नियम विरुद्ध वन अधिकार पट्टा खुड़िया समेत बिजराकछार के ग्रामीणों को दे दिया गया है. वहीं इस पट्टा वितरण के मामले में हैरानी की बात यह है कि अधिकतर ग्रामीणों के द्वारा वन भूमि पर कब्जा तो दूर कभी खेती तक नहीं की गई है. बावजूद इसके उन्हें चचेड़ी बीट के जंगल मे खुड़िया क्षेत्र के ग्रामीणों को वन अधिकार पट्टा वितरण कर दिया गया है.

पेड़ों की कटाई अंधाधुंध

खुड़िया वन परिक्षेत्र के कुछ एरिया में चारो तरफ घना जंगल था. वहां अब केवल चारों तरफ पेड़ो की अंधाधुंध कटाई होने की शिकायत आ रही है. जहां अब केवल ठूंठ ही ठूंठ दिखाई दे रहे हैं. पेड़ों की निर्ममता से खुलेआम कटाई कर रहे हैं. जिसे रोकने कोई पहल नजर नहीं आ रहा है.

वन अधिकार पट्टा बनाने क्या है नियम

आदिवासी विकास विभाग के उच्च अधिकारियों के मुताबिक वन अधिकार अधिनियम 2006 के यथा संशोधित अधिनियम 2012 के तहत अधिनियम प्रभावशील है इसके तहत यह प्रावधान है कि जो 13 दिसंबर 2005 से पहले का आदिवासी हो तो उसका कब्जा होना जरूरी है और यदि कोई व्यक्ति गैर आदिवासी है, जो आदिवासी को छोड़कर किसी अन्य जाति का हो अगर वह अभी काबिज है तो उसे 13 दिसंबर 2005 के कब्जा के साथ तीन पीढ़ी का निवास होना भी जरूरी है.

यह इस एक्ट में विशेष प्रावधान किया गया है. व्यक्तिगत वन अधिकार पट्टा के लिए एक व्यक्ति को 4 हेक्टेयर तक यानी 10 एकड़ तक जमीन का पट्टा प्रदान करने नियम है. लेकिन शिकायत अगर सही साबित हुआ तो शासन के नियमों को ताक में रखते हुए बिजराकछार और खुड़िया में चहेते लोगों को लाभ पहुचाने दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर अपात्रों को वन अधिकार पट्टा जारी कर दिया जाना गंभीर मामला है. वही इस मामले में निष्पक्ष जांच की गई तो कई चौकाने वाले सच सामने आ सकते है.

कलेक्टर ने कार्रवाई का दिया आश्वासन

इस पूरे मामले के शिकायत कर्ता युवा कांग्रेस के पदाधिकारियों का कहना है कि कलेक्टर ने शिकायत के बिंदुओं पर जांच कराने के अलावा दोषियों पर कार्रवाई करने की बात कही है.

सवाल उठना लाजमी है

शिकायतकर्ता का आरोप है कि जिस कक्ष क्रमांक 492 RF जंगल की जमीन को रेवड़ी की तरह मिलीभगत कर पट्टा वितरण किया गया है, उक्त वन भूमि में कुछ वर्ष पहले वन विभाग के द्वारा सागौन और रतनजोत का प्लांटेशन भी लगवाया गया है. इसके अलावा उक्त वन भूमि में समय समय पर लाखों रुपए खर्च कर शासकीय राशि आहरण करते हुए वन विभाग द्वारा अनेक कार्य भी कराया गया है.

ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है जब लगातार कई वर्षों से वन विभाग के अधिकारियों ने जिस वन भूमि पर लाखों रुपये खर्च कर जंगल को बचाने एवं उनके संरक्षण के लिए काम किया है. उक्त वन भूमि का पट्टा ग्रामीणों को कैसे वितरण हो गया या यह एक बड़ा सवाल है.

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