भदोही. अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे तमाम देशों में अपनी अदुभुद कारीगरी का लोहा मनवा चुकी भदोही की मखमली कालीनें देश के नव निर्मित संसद भवन की शान में इजाफा करने को तैयार हैं. सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में भदोही की मखमली कालीनें जलवा बिखेरने को तैयार हैं. इसके लिए आकर्षक डिजाइन वाली हैंड नाटेड कालीनों की तैयारी को अंतिम रूप दिया जा चुका है.

सेंट्रल विस्टा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता है. प्रधानमंत्री के सपनों को साकार करने में भारतीय कालीनों का भी कहीं न कहीं अहम योगदान हो सकता है. अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन व फ्रांस जैसे तमाम प्रभावशाली देशों में अपनी जलवा बिखेर चुकी भदोही की आकर्षक कालीनें अब भारत की बनने वाली नई संसद में भी शोभायमान होंगी.

भदोही की कालीन की अपनी अलग पहचान है‚ जिसे हैंड़ मेड़ कार्पेट ऑफ भदोही के तौर पर जाना जाता है. इसे भौगोलिक संकेतक–जीआई टैग मिला हुआ है. इसमें इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल से लेकर बुनाई तक का सभी काम कारीगर अपने हाथों से करते हैं. भदोही का यह परंपरागत उत्पाद अब दिल्ली में बन रहे नए संसद भवन में भी अपनी चमक बिखेरेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को संसद के नवनिÌमत भवन का उद्घाटन करेंगे. अगला मॉनसून सत्र नए भवन में ही आयोजित होगा.

सेंट्रल विस्टा में कुल 5282 स्क्वॉयर यार्ड एरिया कवर करने के लिए 11 बाइ 8 के कुल 282 पीस हैंड नॉटेड कार्पेट लगाए जाएंगे। इसकी आपूर्ति भदोही जिले के गोपीगंज की एक कालीन कंपनी ने की है. राज्यसभा में 151 पीस और लोकसभा में 131 पीस कार्पेट लगेंगे. संसद भवन में कालीनों को वॉल–टू–वॉल फिटिंग करने के लिए भदोही से 30-35 कुशल कारीगर भेजे गए हैं. ये कारीगर कालीनों को आपस में जोड़ कर आकार देने में जुटे हैं. ये कालीनें सतरंगी के साथ ही साथ मखमली हैं‚ जिसमें काफी महंगें ऊन और सिल्क का प्रयोग किया गया है.

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