पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। LALLURAM.COM की खबर का एक बार फिर बड़ा असर हुआ है. LALLURAM.COM में सुपेबेड़ा की दुर्दशा की खबर प्रकाशित होते ही बीजेपी सांसद चुन्नीलाल साहू गांव पहुंचे. जहां बेबस ग्रामीणों से बातचीत की. वहां उनकी पीड़ा सुनी. ग्रामीणों गांव और अपनी किस्मत की बदलहाली सांसद के सामने मायूसी भरे स्वर में खोल कर रख दी. इस दौरान सांसद चुन्नीलाल साहू ने सरकार को जमकर कोसा. साथ ही कहा कि केंद्र सरकार से क्रिटिकल केयर सेंटर के लिए 74 करोड़ की मंजूरी मिली है. यहां उपचार किडनी पीड़ितों का होगा.
दरअसल, पर्याप्त स्वास्थ्य सेवा और जरूरी सुविधाओं के अभाव में सुपेबेड़ा के लोग गांव छोड़ने की खबर प्रकाशन के बाद क्षेत्रीय सांसद चुन्नीलाल साहू आज हालात जानने सुपेबेड़ा पहुंचे. जहां सांसद साहू ने कहा कि सुपेबेड़ा का पानी और डॉक्टर अब तो कांग्रेस सरकार के होर्डिंग से भी गायब हैं. सरकार ने मजाक बनाया है. ऐसे में लोग गांव न छोड़ें तो क्या करें.
मैं भी जमीन बेंचकर जल्द गांव छोड़ूंगा- किडनी पीड़ित
वहीं ग्रामीण केशबो राम ने कहा कि कुछ एकड़ जमीन बची हुई है, उसे बेच कर मैं भी जल्द गांव छोड़ने जा रहा हूं. वहीं किडनी रोग से मां-बाप समेत परिवार के 20 लोगों को खोने के बाद अब खुद किडनी रोग के चलते जिंदगी मौत से जूझ रहे प्रेमजय क्षेत्रपाल ने कहा कि परिवार, संपत्ति, जायदाद सब कुछ किडनी रोग ने छीन लिया. बेचने को अब कुछ भी नहीं रहा है. बाहर जाकर भी जीवन यापन कर पाना मुश्किल है. पीड़ित परिवार को भत्ते की आस में इसी गांव में जीना मरना लिखा है. छोड़कर जाने के लिए कुछ भी नहीं है.
न डॉक्टर की पोस्टिंग है, न दवा का ठिकाना- सांसद
सांसद ने पत्रकारों से चर्चा कर कहा कि किडनी पीड़ित गांव को लेकर क्रिटिकल केयर संस्थान से इलाज होगा. कांग्रेस सरकार जितना सवेदनशीलता होना सदन व होर्डिंग में दिखाती है. उसकी सच्चाई कुछ और है. दावा के अनुसार यहां के लोगों को न तो साफ पानी मिल रहा और न डॉक्टर की पोस्टिंग है, न दवा का ठिकाना है.
केंद्र सरकार का फिर भी काम नहीं करा पा रही सरकार- सांसद
सामूहिक जल प्रदाय योजना के लिए केंद्र के जल जीवन मिशन से मंजूरी मिल गई है. पैसा केंद्र सरकार का है फिर भी ये काम नहीं करा पा रहे हैं. सांसद ने बताया की मेरी मांग के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 24 अप्रैल को क्रिटिकल केयर सेंटर के लिए 74 करोड़ की मंजूरी दे दी है. मैंने कलेक्टर को इसे जल्द बनाने कहा है. इसी संस्थान से किडनी के रोगियों समेत जटिल से जटिल रोगों का निशुल्क उपचार होगा.
44 परिवार नहीं रहते गांव में
पलायन कि वास्तविकता जानने आज जनपद सीईओ द्वारा भेजी गई टीम भी गांव पहुंची. एडिशनल सीईओ रवि सोनवानी के साथ आई टीम 3 घंटे तक गांव में रही. रवि सोनवानी ने बताया कि 32 परिवार काम के लिए परम्परागत तरीके से हर साल बाहर जाते हैं. 12 परिवार एसे मिले, जिन्होंने पारिवारिक कारणों से गांव से बाहर रहते हैं. बच्चों की अच्छी पढ़ाई, उनके भविष्य, स्वास्थ्य सेवा और किडनी रोगों के चलते बदले माहौल को पारिवारिक कारण बताया गया है.
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