फीचर स्टोरी। गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ की अवधारणा छत्तीसगढ़ के युवा, बुजुर्ग, किसान और महिलाओं के लिए सौग़ात बन कर आई है. प्रदेश के मुखिया की दूरंदेशी का असर प्रदेश की जनता को प्रत्यक्ष देखने को मिल रहा है. किसानों के खाते में पैसे बरस रहे हैं. महिलाओं को रोजगार मिल रहा है. गौठान खुशहाल हो रहे हैं. चारों तरफ से छत्तीसगढ़ को गढ़ने का काम किया जा रहा है. गौठान आजीविका सृजन और जीवनयापन का सशक्त माध्यम बन रहे हैं. छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी योजना, जिसके अंतर्गत नरवा-गरवा, घुरवा-बारी संचालित है. योजना ने ग्रामीण महिलाओं की जिंदगी ही बदल दी है. आज इस योजना से गांव-गांव में महिलाओं के पास रोजगार है, आर्थिक उन्नति है, मान-सम्मान है.

सुराजी गांव योजना वरदान बनकर उभरी

नरवा, गरवा, घुरुवा, बाड़ी के संरक्षण और संवर्धन के किए सुराजी गांव योजना वरदान बनकर उभर रही है. भूपेश बघेल 21 मई को गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को फिर 13.57 करोड़ रूपये जारी करेंगे. गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को अब तक 445 करोड़ 14 लाख रूपए का भुगतान हो चुका है.

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिली गति

राज्य सरकार गौठान के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को जिस तरह से गति दी है, इसका सीधा फायदा आज ग्रामीणों को विशेषकर महिलाओं को हो रहा है. गौठान में काम एक तरह से महिलाओं के नाम है. स्व-सहायता समूह की महिलाओं के लिए गौठान में ढेरों गतिविधियां संचालित हैं. जहां से महिलाएं को रोजगार भी और स्व-रोजगार भी है. मतबल वह महीने के मासिक वेतन पर भी काम कर रही हैं, वहीं खुद का व्यवसाय कर उद्यमी भी बन रही हैं.

ग्रामीण अर्थव्यवस्था हो रही मजबूत

किसान परिवार से जुड़े छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में खेती और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की जमीनी हकीकत पर ध्यान केंद्रित करते हुए ‘सुराजी गांव योजना’ की परिकल्पना की है. उनके कुशल मार्गदर्शन में यह योजना तेजी से क्रियान्वित की जा रही है. मुख्यमंत्री के निर्देशन में किसानों से धान खरीदी, उनकी कर्ज माफी, राजीव गांधी किसान न्याय योजना और गोधन न्याय योजना जैसी नवीन योजनाओं से प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा रहा है.

गौठान जीविकोपार्जन और जीविका का सशक्त माध्यम

जल संरक्षण, पशुपालन, मृदा स्वास्थ्य और पोषण प्रबंधन की गतिविधियों को छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक परंपरा से जोड़ा गया है. आमजन के सहयोग से योजना को सफल बनाने के लिए सुराजी गांव योजना के माध्यम से नरवा, गरवा, घुरूवा, बाड़ी के संरक्षण व संवर्धन का अभियान शुरू किया गया है. सांस्कृतिक परंपरा से परिपूर्ण इस कार्यक्रम को सरकार ने अपनाते हुए इसे एक अभियान के रूप में लिया है.

हरेली के दिन गोधन न्याय योजना का शुभारंभ

राज्य सरकार द्वारा 20 जुलाई 2020 को हरेली के दिन गोधन न्याय योजना का शुभारंभ किया गया. इसके तहत गौठान समितियों की खरीदी एक रुपए प्रति किलो की दर से की जा रही है. ग्राम सुराजी में स्थापित गौठानों के माध्यम से 2 प्रति किग्रा. गौठानों में इसी गोबर से स्वयं सहायता समूहों द्वारा वर्मीकम्पोस्ट, सुपरकम्पोस्ट एवं सुपरकम्पोस्ट प्लस का उत्पादन किया जाता है. वर्मी कम्पोस्ट 10 रुपये प्रति किलो, सुपर कम्पोस्ट 6 रुपये प्रति किलो और सुपर कम्पोस्ट प्लस 6.50 रुपये प्रति किलो की दर से किसानों को बेचा जा रहा है.

किसानों के खेतों में जैविक खेती

इस योजना के तहत गोबर से बनी वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट जैसे जैविक खादों के प्रयोग से किसानों के खेतों में जैविक खेती की दिशा में उत्कृष्ट पहल की जा रही है. रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को कम करके, भूमि, जल, वायु, पर्यावरण के प्रदूषण को कम करके, खाद्य श्रृंखला में रसायनों के अवशेषों को कम किया जा रहा है, जिससे खाद्य सामग्री की गुणवत्ता में सुधार की पूरी संभावना है. खरीफ वर्ष 2023 के लिए रासायनिक उर्वरकों की खपत को कम कर किसानों को गुणवत्तापूर्ण वर्मीकम्पोस्ट उपलब्ध कराने के सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं.

सुराजी ग्राम योजना, नरवा, गरुवा, घुरूवा, बाड़ी के संरक्षण और संवर्धन का अभियान

गोधन न्याय योजना के तहत बने गौठानों में न केवल गोबर की खरीद, खाद बनाकर बेचा जा रहा है, बल्कि इससे इतर आजीविका सृजन के नए मानक अपनाए जा रहे हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था आत्मनिर्भर, मजबूत और मजबूत हो रही है. गौठान अब केवल गोबर क्रय-विक्रय केंद्र ही नहीं रह गए हैं, बल्कि जीविका का सशक्त साधन भी बन गए हैं.

अरहर और फूलों की खेती

वर्मी कम्पोस्टिंग एवं बिक्री के अतिरिक्त सब्जी उत्पादन, मशरूम स्पॉन, मुर्गी पालन, बकरी पालन, अंडा उत्पादन, केंचुआ उत्पादन, मसाला निर्माण, कैरीबैग एवं दोना-पत्ती निर्माण, बेकरी निर्माण, अरहर एवं फूलों की खेती सहित विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है. इन गौठानों में किया गया. समूह के सदस्य अच्छा काम कर रहे हैं. जिले के कुरुद विकासखण्ड के गौठानों में आजीविका गतिविधियों की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उत्पादन कार्य की लागत को अलग कर इन समूहों को लगभग लाखों रुपये की अतिरिक्त आय हुई है, जो अपने आप में एक कीर्तिमान है. .

लगातार पुरस्कार

दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के डॉ. बी.आर. अम्बेडकर सभागार में आयोजित कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना को ई-गवर्नेंस अवार्ड 2022 से सम्मानित किया गया है. यह पुरस्कार कंप्यूटर सोसाइटी ऑफ इंडिया (ई-गवर्नेंस पर विशेष रुचि समूह) द्वारा दिया जाता है. गोधन न्याय योजना का चयन राज्य एवं परियोजना श्रेणी में किया गया है. गौरतलब है कि गोधन न्याय योजना को पूर्व में ”स्कॉच गोल्ड अवार्ड” और ”नेशनल लेवल इनोवेशन अवार्ड” भी मिल चुका है.

स्वावलंबी गौठानों की हिस्सेदारी 60 से 70 प्रतिशत तक बढ़ी

गोधन न्याय योजना के तहत स्वावलंबी गौठान न केवल गोबर उपार्जन में सहभागी हो रहे हैं, बल्कि निरंतर प्रगति भी कर रहे हैं. विगत कई पखवाड़े से गोबर की खरीद के लिए दी जा रही राशि में स्वावलंबी गौठानों की हिस्सेदारी 60 से 70 प्रतिशत तक बढ़ने लगी है. आज की स्थिति में 50 प्रतिशत से अधिक गौठान स्वावलंबी हो गए हैं, जो अपने कोष से गोबर एवं गोमूत्र क्रय करने के साथ-साथ गौठानों की अन्य गतिविधियों को अपने कोष से पूर्ण कर रहे हैं.

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