विधि अग्निहोत्री, कोंडागांव- जीवन एक वृक्ष की तरह है जिसमें शिक्षा जल है तो कौशल जड़. यदि जड़ को पर्याप्त पानी ना मिले तो पेड़ कैसे लहलहाएगा. उसी तरह यदि शिक्षा ठीक तरह से ना मिले तो आपका कौशल निखर नहीं पाता और जीवन का पेड़ सूखा रह जाता है.
ऐसा ही कुछ कोंडागांव से 45 किलोमीटर दूर माकड़ी ग्राम पंचायत बालोंड निवासी सोहन लाल नेताम के साथ हुआ. परिवार की जिम्मेदारियों के चलते पढ़ाई छूट गई. आमदनी के लिए पिता के साथ खेतों में काम करना पड़ा. दिन रात की अथक मेहनत के बाद भी आय इतनी ना होती कि 4 भाई बहनों और माता-पिता का पेट अच्छी तरह से पाल सके. सोहन को समझ आ चुका था कि आमदनी ज्यादा चाहिए तो रोजगार का अन्य साधन भी ढूंढना पड़ेगा, लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी नौकरी नहीं मिली क्योंकि शिक्षा और कौशल का अभाव था. इसी दौरान एक दोस्त के माध्यम से सोहन को अंत्यावसायी प्रशिक्षण सत्र के विषय में जानकारी मिली.
सोहन को शुरू से ही ड्राईविंग और छोटे मोटे इलेक्ट्रीकल्स के क्षेत्र में रुचि थी, लिहाजा उसने जिला अंत्यावसायी में ड्राईवर-कम-मैकेनिक का फार्म जमा कर दिया और काउंसिलिंग के बाद उसका चयन किया गया. छह महीने के प्रशिक्षण के दौरान सोहन ने अलग अलग वाहनों से संबंधित ट्रेनिंग लेकर जल्द ही ड्राईवर-कम-मैकेनिक की बारिकियाँ सिखीं. सोहन अब इस कार्य में निपुण हो चुका था. उसने ट्रेनिंग पूरी कर पंजाब नेशनल बैंक से वाहन व्यवसाय के तहत ढ़ाई लाख का लोन लिया और एक नए ट्रैक्टर के साथ अपना व्यवसाय आरंभ किया.
कड़ी मेहनत और लगन से उसका व्यवसाय चल निकला. आज सोहन आमदनी के लिए कृषि के अलावा अन्य कृषकों को कृषि के लिए वाहन किराये पर उपलब्ध कराता है. साथ ही ईंट, रेत, मुरुम ढ़ुलाई में भी उसके वाहन की मांग है. इस व्यवसाय से सोहन को 20,000 रुपय की मासिक आमदनी होती है. सोहन के परिवार के जीवन स्तर में भी काफी सुधार आया है. इससे सोहन का परिवार काफी खुश है. इसके अलावा उसने धान मिंजाई का क्रेशर यंत्र भी खरीद लिया और आसानी से बैंक की किश्तों का भुगतान कर रहा है. सोहन के अनुसार इन योजनाओं ने उसे गरीबी की राह से निकालकर विकास की मंजिल तक पहुँचाया. सोहन गांव के अन्य लोगों को भी इन योजनाओं का लाभ उठा अपने जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए प्रेरित कर रहा है.
‘नर हो न निराश करो मन को कुछ काम करो कुछ काम करो’ मैथलीशरण गुप्त जी की इस कविता को सोहन ने अपने जीवन में सार्थक किया. बेरोजगारी और गरीबी की जंज़ीरें भी सोहन को जकड़ ना सकी. दृढ़ इक्छा शक्ति और कठोर प्रयासों से सोहन ने स्वयं को गरीबी के दलदल से निकाला. सोहन ने साबित किया कि अगर आप कुछ ठान लें और उसके पीछे जी जान से जुट जाए तो आपको सफल होने से कोई रोक नहीं सकता.
सोहन शिक्षा पर जोर देते हैं क्योंकि शिक्षा ही वह माध्यम जो आपको सामाजिक, मानसिक और आर्थिक रूप से विकास की मुख्य धारा से जोड़ती है. सोहन का जो सपना अधूरा रह गया था वह सपना वो अपने भाई बहनों को अच्छी शिक्षा दे पूरा करना चाहता है. सोहन का कहना है कि अच्छी शिक्षा और अथक प्रयास से आप अपने सपनों को पूरा कर सकतें हैं. सोहन ने जीवन का मूलमंत्र बनाया है कि चाहे परिस्थितियां कितनी भी विषम क्यों ना हो अपनी हिम्मत को घुटने टेकने ना दो और सहीं दिशा में भरकस प्रयास कर जीवन रूपी वृक्ष को लहलहाने दो.