दिनेश द्विवेदी, मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर। छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ जिले से मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है. यहां एक मृत युवक को अंतिम संस्कार देने के लिए घर से कोई भी नहीं आया. जिसके बाद पुलिस ने मानवता की मिसाल पेश किया. पुलिस ने मृत के शव की न केवल अंतिम संस्कार की व्यवस्था की, बल्कि कोतवाली प्रभारी सचिन सिंह ने मृत युवक के दो वर्षीय अबोध बालक को गोद में लेकर मुखाग्नि दी. थाना प्रभारी के साथ उनका स्टॉफ भी रहा.

दरअसल, ग्वालियर के रहने वाले निक्की वाल्मीकि और कोरबा की रहने वाली सविता ने अंतर जाति विवाह किया था. इससे नाराज होकर दोनों के परिजनों ने उनका सामाजिक बहिष्कार कर दिया. जिसके बाद दोनों दंपत्ति पहले मनेंद्रगढ़ में और उसके बाद रायपुर मजदूरी करते थे.

बीते मंगलवार को निक्की की तबीयत खराब हो गई. जिसके बाद जहां पर यह लोग काम करते थे, वहां के मालिक ने एक वाहन से दोनों को मनेंद्रगढ़ के लिए भेज दिया. लेकिन रास्ते में निक्की की मौत हो गई. जिसके बाद वाहन मालिक के ड्राइवर ने निक्की और उसकी पत्नी को बिलासपुर रतनपुर के पास सड़क किनारे उतार दिया और वहां से वाहन लेकर फरार हो गया. आसपास के ग्रामीणों की मदद से किसी तरह सविता अपने मृत पति को लेकर अस्पताल पहुंची.

जहां उसका पोस्टमार्टम करने के बाद एक एंबुलेंस के माध्यम से मृतक के शव को मनेन्द्रगढ़ के लिए रवाना कर दिया गया. मंगलवार की रात्रि लगभग 9:00 बजे पत्नी अपने मृत पति के शव को लेकर एंबुलेंस के पास खड़ी थी. तभी पुलिसकर्मियों ने उसे देखा और उससे पूछताछ की तो महिला ने बताया कि उसके पति की मृत्यु हो गई है और उसके पास शव का अंतिम संस्कार कराने की व्यवस्था नहीं है.

इसकी जानकारी मिलने के बाद थाना प्रभारी ने जिला पुलिस अधीक्षक को घटना से अवगत कराया. जिसके बाद आज बुधवार की सुबह मुक्तिधाम मनेंद्रगढ़ में मृतक युवक का अंतिम संस्कार पुलिस के सहयोग से किया गया.

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