इलाहाबाद हाईकोर्ट में तलाक से जुड़ा एक मामला आया. पति ने इस आधार पर पत्नी से तलाक की मांग की थी कि उसकी पत्नी लंबे समय से उसको उसके साथ यौन संबंध बनाने की अनुमति नहीं दे रही है. उसके साथ नहीं रह रही है. हाईकोर्ट ने क्रूरता के आधार पर पति को पत्नी से तलाक लेने की अनुमति दी. और कहा कि पति या पत्नी की तरफ से लंबे समय तक अपने जीवनसाथी के साथ बिना पर्याप्त कारण के यौन संबंध बनाने की अनुमति न देना, अपने आप में मानसिक क्रूरता है. यह आदेश जस्टिस सुनीत कुमार और जस्टिस राजेंद्र कुमार चतुर्थ की बेंच ने वाराणसी के रविंद्र प्रताप यादव की ओर से दाखिल अपील को स्वीकार करते हुए दिया.
वाराणसी पारिवारिक न्यायालय ने याची की विवाह विच्छेद की अर्जी को खारिज कर दिया था. पीड़ित ने उसे हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. उनकी शादी 1979 में हुई थी. शादी के कुछ समय के बाद पत्नी का व्यवहार और आचरण बदल गया . उसने पत्नी के रूप में रहने से इनकार कर दिया था. वह पति से दूर ही रही और आपसी संबंध नहीं बने. दोनों एक ही छत के नीचे रहते थे. कुछ दिन बाद पत्नी मायके चली गई. पति ने उसे घर चलने के लिए कहा तो वह मानी नहीं . पति ने तलाक देने की मांग की लेकिन वह अदालत गई ही नहीं और फैमिली कोर्ट ने पति की तलाक अर्जी को खारिज कर दिया.
तलाक की अर्जी स्वीकार करते हुए कोर्ट ने ये भी कहा कि जीवनसाथी रहे पति या पत्नी को एक साथ जीवन फिर से शुरू करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है. पति-पत्नी को शादी में हमेशा बांधे रखने की कोशिश करने से कुछ नहीं मिलता है.