आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को बीआरएस प्रमुख और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव से हैदराबाद में मुलाकात की .
केजरीवाल के साथ आम आदमी नीत पार्टी के पंजाब सरकार के सीएम भगवंत मान और दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी भी थीं. उन्होंने सीएम आवास प्रगति भवन में उनसे मुलाकात की.
सीएम अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण से संबंधित केंद्र के अध्यादेश का विरोध करने के लिए भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) का समर्थन मांगने के लिए पहुंची हुई है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने 23 मई को अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों से समर्थन लेने के लिए देशव्यापी दौरे की शुरुआत की. इससे पहले केजरीवाल ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सुप्रीमो शरद पवार, बिहार के सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से मुलाकात की थी.
अरविंद केजरीवाल ने एनसीपी चीफ शरद पवार से भी इस मामले को लेकर मुलाक़ात की है. शरद पवार ने उन्हें समर्थन देते हुए कहा, “हम केजरीवाल का समर्थन करने के लिए अन्य नेताओं से भी बात करेंगे. हमें सभी गैर-बीजेपी पार्टियों को एक साथ लाने पर ध्यान देना चाहिए”.
राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे से मांगा समय
केजरीवाल ने ध्यादेश के खिलाफ समर्थन के लिए कांग्रेस अघ्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी के नेता राहुल गांधी से मिलने के लिए समय मांगा है. दरअसल अध्यादेश जारी किए जाने से महज एक हफ्ते पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस, कानून-व्यवस्था और भूमि को छोड़कर अन्य सभी सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली सरकार को सौंप दिया था. कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली के अफसरों की पोस्टिंग और तबादले का अधिकार दिल्ली सरकार के पास है.
यह है मामला
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले बाद केंद्र सरकार एक अध्यादेश लाया, जिसने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को एकदम पलट कर रख दिया है. अदालत ने जहां सभी अधिकार मुख्यमंत्री को दिए थे, वहीं ट्रांसफर और पोस्टिंग के मामले में केंद्र सरकार ने अध्यादेश के जरिये सभी अधिकार वापस उपराज्यपाल को दे दिए हैं.
अब इसी अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष को जोड़ने और अपने लिए समर्थन मांगने की कवायद में जुटे हुए हैं. केजरीवाल चाहते हैं कि जब यह अध्यादेश बिल के रूप में केंद्र सरकार राज्यसभा में लाए तब पूरा विपक्ष एकजुट होकर इसका विरोध करे. ताकि यह कानून न बन सके.