रायपुर- छत्तीसगढ़ राज्य में जनजाति सलाहकार परिषद के सचिवालय का शीघ्र गठन किया जाएगा. अनुसूचित जनजाति अनुसंधान संस्थान में यह सचिवालय संचालित होगा. वहीं आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान को सोसायटी के रूप में पुनर्गठित कर संचालित किया जाएगा, जिससे भारत सरकार के जनजाति कार्य मंत्रालय से वित्तीय सहायता सीधे संस्थान को मिलेगी और प्रस्तावित योजनाओं का विभिन्न स्तर से अनुमोदन कराने के बजाए सीधे आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण सोसायटी से अनुमोदन मिलना प्रारंभ हो जाएगा. राज्य में जनजाति संस्कृति एवं भाषा अकादमी गठन के प्रस्ताव को सैद्धांतिक सहमति मिल गई है. इस अकादमी को स्वरूप में लाने के पूर्व संरचना विकसित करने से पहले सभी संबंधितों से एक माह की समयावधि में सुझाव लिए जाएंगे. बस्तर विश्वविद्यालय में ग्रामीण तकनीकी, मानव विज्ञान और जनजातीय अध्ययन शाला के साथ वानिकी एवं वन्य जीव अध्ययन शाला विभाग खोला जाएगा.
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में आज यहां मंत्रालय (महानदी भवन) में छत्तीसगढ़ राज्य जनजाति सलाहकार परिषद की अत्यंत महत्वपूर्ण बैठक हुई. बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने यह अहम फैसले लेते हुए इन सभी प्रस्तावों को मंजूरी दी. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ जनजाति सलाहकार परिषद का गठन किया गया है. परिषद के कार्य को सुचारू ढंग से संचालित करने के लिए यह पृथक सचिवालय जनजाति समाज की अपनी आवश्यकताओं पूरा करेगी. वहीं जनजाति समुदाय के क्रियाकलापों का दस्तावेजीकरण भी होगा. मंत्रिपरिषद के सदस्य, सांसद, विधायक और नामांकित जनप्रतिनिधि इस सचिवालय में बैठकर जनजाति समाज की संस्कृति, बोली, भाषा, परम्परा, वाद्ययंत्रों का संरक्षण और उनकी आवश्यकताओं और छोटी-मोटी दिक्कतों को हल करने में अहम भूमिका निभाएंगे. इस सचिवालय में एक नोडल अधिकारी नियुक्त होगा. इस सलाहकार परिषद सचिवालय के स्वरूप को शीघ्र क्रियाशील करने के लिए मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव और विभागीय सचिव को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए.
बैठक में राजधानी रायपुर स्थित आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान को अब सोसायटी के रूप में पुनर्गठित कर संचालित किया जाएगा. देश के अन्य राज्यों की तरह भारत सरकार मार्गदर्शी बिन्दुआें के अनुसार यह कार्रवाई छत्तीसगढ़ राज्य में भी की जाएगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान पंजीकृत समिति सोसायटी के रूप में अस्तित्व में आते ही भारत सरकार से मिलने वाली वित्तीय सहायता सीधे मिलना प्रारंभ हो जाएगी. वहीं प्रस्तावित योजनाओं पर बार-बार विभिन्न स्तर से अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी. मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि राज्य जनजाति संस्कृति एवं भाषा अकादमी का गठन किया जाएगा. भारत सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य हेतु 42 जनजाति जनजाति समूहों में उसकी उपजातियों को संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत अनुसूचित जनजाति के रूप में अधिसूचित किया गया है. संविधान के अनुच्छेछ 46 में सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक विकास के साथ सभी प्रकार के हितों के संरक्षण और उन्हें शोषण से बचाने का दायित्व राज्य सरकार का है. इसे दृष्टिगत रखते हुए यह अकादमी क्रियाशील होकर कार्य करेगी. उन्होंने कहा कि राज्य में जनजाति समुदायों में बाह्य सांस्कृतिक सम्पर्क और शिक्षा का प्रभाव होने के साथ विकास की तीव्र गति तथा जनजाति समुदाय की भाषा-बोली के संरक्षण के प्रयासों में कमी न हो, इस दृष्टिकोण से जनजाति बोली और संस्कृति का संरक्षण महत्वपूर्ण हो गया है. उन्होंने कहा कि यह अकादमी स्वतंत्र सोसायटी के रूप में होगी. अकादमी की संरचना विकसित करने से पहले समाज प्रमुखों एवं जनप्रतिनिधियों से एक माह में सुझाव लिए जाएंगे. उन्होंने इस अकादमी के गठन के प्रस्ताव को बैठक में सैद्धांतिक सहमति दी.
बैठक में बस्तर विश्वविद्यालय में ग्रामीण तकनीकी, मानव विज्ञान और जनजातीय अध्ययन शाला के साथ वानिकी और वन्य जीव अध्ययन शाला की भी मंजूरी दी गई. इस संदर्भ में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि जनजाति विषयों पर अध्ययन हेतु पृथक विभाग होने से अलग-अलग जाति समूहों के सभी पहलुओं का अध्ययन होगा. उन्होंने अशैक्षणिक पदों के लिए की जाने वाली भर्ती को सही तरीके से करने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि बस्तर क्षेत्रीय स्टडी सेंटर के अलावा अमरकंटक जनजातीय विश्वविद्यालय का सरगुजा विश्वविद्यालय में भी क्षेत्रीय स्टडी सेंटर प्रारंभ करने के संबंध में भारत सरकार से अनुमति मिलने पर इस दिशा में कार्यवाही की जाएगी.
नया रायपुर पुरखौती मुक्तांगन के समीप 27 करोड़ की लागत से 22 एकड़ में शहीद वीरनारायण सिंह आदिवासी संग्रहालय निर्मित किया जाएगा. बैठक में जाति के नामों में नये मात्रात्मक त्रुटि में सुधार के लिए छत्तीसगढ़ के सभी सांसदों और विधायकों से अपेक्षा की है कि वे आगामी लोकसभा सत्र में विधेयक लाने के लिए सामूहिक रूप से मिलकर प्रयास करें. उन्होंने कहा कि यह विधेयक पारित होने और भारत सरकार के अधिसूचना जारी होने के बाद किसान नगेशिया सहित पांच जातियों के भी जाति प्रमाण पत्र जारी हो सकेंगे.उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य में मंत्रिपरिषद द्वारा लिए गए फैसले के अनुरूप सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा अंग्रेजी में अधिसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति नामों का हिन्दी में उच्चारणगत विभेद मान्य किए जाने संबंधी जो निर्णय लिए गए हैं, उसके अनुरूप सभी संबंधित जातियों के आवेदकों के जाति प्रमाण पत्र जारी किए जाएं। बैठक में बस्तर और सरगुजा क्षेत्र में वन अधिकार मान्यता पत्र के निरस्त हुए प्रकरणों पर पुनर्विचार करने हेतु आवश्यक निर्देश दिए गए हैं. वहीं हाथी प्रभावित क्षेत्र में सोलर हाईमास्ट लगाए जाने का भी फैसला लिया गया. बैठक में कोण्डागांव, नारायणपुर, सुकमा, बीजापुर सहित सरगुजा, सूरजपुर, बलरामपुर और कोरिया में नक्सल पीड़ित परिवारों के लिए प्रधानमंत्री आवास के अंतर्गत आवास उपलब्ध कराने के निर्देश दिए.
बैठक में छत्तीसगढ़ जनजातीय सलाहकार परिषद के उपाध्यक्ष और आदिम जाति विकास मंत्री केदार कश्यप, गृह मंत्री रामसेवक पैकरा, वन मंत्री महेश गागड़ा, संसदीय सचिव सुनिति सत्यानंद राठिया और गोवर्धन मांझी, विधायक श्रवण मरकाम, चिन्तामणि महाराज, तेजकुवंर गोवर्धन, खेलसाय सिंह, पहाड़ी कोरवा विकास अभिकरण अम्बिकापुर की अध्यक्ष मुन्नीबाई, अबूझमाड़ विकास अभिकरण नारायणपुर के अध्यक्ष मंगतूराम नुरेटी, मुख्य सचिव अजय सिंह, अपर मुख्य सचिव सी.के. खेतान, पुलिस महानिदेशक ए.एन. उपाध्याय, प्रमुख सचिव वित्त अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव अमन कुमार सिंह, आदिमजाति विकास विभाग की विशेष सचिव रीना बाबा साहेब कंगाले, सहित विभिन्न विभागों के सचिव उपस्थित थे.