Wrestlers Protest. भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और अन्य पहलवानों ने मंगलवार को बड़ा ऐलान किया है. पहलवानों ने कहा कि इन मेडलों को हम गंगा में बहाने जा रहे हैं. आज शाम 6 बजे हम हरिद्वार में अपने मेडल गंगा में प्रवाहित कर देंगे. इसके बाद हम इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे. बजरंग पूनिया ने दो पन्नों का एक बयान अपने ट्विटर अकाउंट पर जारी कर यह घोषणा की है.
पहलवानों ने कहा कि पुलिस ने हम लोगों के साथ क्या व्यवहार किया? हमें कितनी बर्बरता से गिरफ्तार किया. हम शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे. हमारे आंदोलन की जगह को भी पुलिस ने तहस-तहस कर दिया. अगले दिन गंभीर मामलों में हमारे ऊपर ही एफआईआर दर्ज कर दी गई. क्या पहलवानों ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के लिए न्याय मांगकर कोई अपराध कर दिया है?
पुलिस और तंत्र हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही है. जबकि उत्पीड़क खुली सभाओं में हमारे ऊपर फब्तियां कस रहा है. टीवी पर महिला पहलवानों को असहज कर देने वाली अपनी घटनाओं को कबूल करके उनकों ठहाकों में तब्दील कर दे रहा है. यहां तक कि पास्को एक्ट को बदलवाने की बात सरेआम कर रहा है. हम महिला पहलवान अंदर से ऐसा महसूस कर रही हैं कि इस देश में हमारा कुछ बचा नहीं हैं. हमें वे पल याद आ रहे हैं जब हमने ओलंपिक, वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीते थे. अब लग रहा है कि क्यों जीते थे? क्या इसलिए जीते थे कि तंत्र हमारे साथ ऐसा घटिया व्यवहार करे. हमें घसीटे और फिर हमें ही अपराधी बना दे.
कल पूरा दिन हमारी कई महिला पहलवान खेतों में छिपती फिरी हैं. तंत्र को पकड़ना उत्पीड़क को चाहिए था, लेकिन वह पीड़ित महिलाओं को उनका धरना खत्म करवाने, उन्हें तोड़ने और डराने में लगा हुआ है. अब लग रहा है कि हमारे गले में सजे इन मेडलों का कोई मतलब नहीं रह गया है. इनको लौटने की सोचने भर से हमें मौत लग रही थी, लेकिन अपने आत्म सम्मान के साथ समझौता करके भी क्या जीना? इस चमकदार तंत्र में हमारी जगह कहां है? भारत के बेटियों की जगह कहां है? क्या हम सिर्फ नारे बनकर या सत्ता में आने भर का एजेंडा बनकर रह गई हैं.
ये मेडल हमें नहीं चाहिए, क्योंकि इन्हें पहनाकर हमें मुखौटा बनाकर सिर्फ अपना प्रचार करता है, यह तेज सफेदी वाला तंत्र. और फिर हमारा शोषण करता है. हम उस शोषण के खिलाफ बोलें तो हमें जेल में डालने की तैयारी कर लेता है. उन शहीदों की जगह है जिन्होंने देश के लिए अपनी देह त्याग दी. हम उनके जितने पवित्र तो नहीं हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलते वक्त हमारी भावना भी उन सैनिकों जैसी ही थी. अपवित्र तंत्र अपना काम कर रहा है और हम अपना काम कर रहे हैं. अब लोक को सोचना होगा कि वह अपनी इन बेटियों के साथ खड़े हैं या इन बेटियों का उत्पीड़न करने वाले उसे तेज सफेदी वाले तंत्र के साथ हैं.’
28 मई को महिला महापंचायत करने वाले थे पहलवान
पहलवान दिल्ली के जंतर-मंतर पर 23 अप्रैल से धरने पर बैठे थे. सात महिला पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण का आरोप लगाया था. कनॉट प्लेस थाने में सिंह के खिलाफ दो मामले दर्ज हुए हैं. अब पहलवान गिरफ्तारी की मांग पर अड़े हुए हैं. इसी मांग के तहत 28 मई को पहलवानों ने नई संसद के सामने महिला महापंचायत करने का ऐलान किया था. लेकिन पहलवान आगे बढ़े तो पुलिस ने उन्हें रोक लिया.
पहलवानों ने पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स को तोड़ दिया और नए संसद भवन की ओर बढ़ गए. इसके तुरंत बाद उन्हें बसों में भरकर अलग-अलग जगहों पर ले जाया गया. पहलवान बजरंग पुनिया साक्षी मलिक और अन्य को पुलिस ने रविवार को 10 घंटे तक हिरासत में रखा और बाद में दिन में रिहा कर दिया.