रायपुर- कांग्रेस के मीडिया पैनलिस्ट विकास तिवारी ने छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान परिषद कार्यालय रायपुर के खिलाफ गंभीर आरोप लगाये हैं. एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर विकास ने कहा है कि छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान परिषद में अनियमितताओं का बोलबाला अपनी चरम सीमा पर है. उन्होनें कहा है कि बरसों से मलाईदार पदों में पदस्थ अधिकारियों से भ्रष्टाचार की प्रमाणिकता के साथ शिकायत किए जाने के बावजूद अपने चहेतों के ऊपर कार्रवाई करने के बजाए निष्क्रियता के नये-नये कीर्तिमान बनाये जा रहें हैं,जिससे परिषद की विश्वसनीयता और पारदर्शिता दोनो पर ग्रहण लगता जा रहा है.
विकास तिवारी ने कहा कि शिकायतों के प्रकरणों पर कार्रवाई करने में आखिर क्यों कोताही बरती जा रही है. यही नही छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान परिषद के रजिस्ट्रार तो दस बरसों से ज्यादा समय से एक ही स्थान पर टिके हुए है,जिनका तबादला भी शासन और मेडिकल काउंसिल दिल्ली द्वारा नहीं किये जाने से सवालिया निशान लग गया है,जबकि मेडिकल काउंसिल मध्यप्रदेश में कई रजिस्ट्रार का बदले जा चुका है.लेकिन छत्तीसगढ़ में ऐसा नहीं करना अपने आप मे चिंतनीय विषय बन गया है.विकास तिवारी ने खुलकर आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शाखा के रूप में तब्दील हो गया है.विकास ने कहा कि एक शिकायत के सुनवाई में बिलासपुर के तथाकथित गठियाबात रोग विशेषज्ञ ने तकरीबन 140 और फर्जी सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की सूची मेडिकल काउंसिल को सौंपी थी जो कि पूरे प्रदेश में गरीब मरीजो को खुलेआम लूट रहे है.इनमें से बहुत से डॉक्टर सत्ताधारी दल और आरएसएस के स्वयंसेवक भी हैं.इस कारण छत्तीसग़ढ़ मेडिकल काउंसिल इन पर कार्रवाई करने से कतरा रही है.
विकास तिवारी ने कहा कि एक मामले में छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल अभी तक ठीक से पता नहीं लगा पायी है कि सुपर स्पेशलिटी लिखने वाले डॉक्टर की डिग्री सही है क्या ? और क्या वह स्वयं को ऐसी उपाधि लिख रहे हैं जिसका छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल को पता लगाने सालो बीत चुके है लेकिन आज तक पता नही लग सका है. विकास तिवारी द्वारा एक शिकायत के उत्तर में जो कागज दस्तावेज उपलब्ध कराये गये हैं, उनसे उपर्युक्त प्रश्नों का समाधान नहीं मिलता. छ.ग. आयुर्विज्ञान परिषद (मेडिकल काउंसिल) में उक्त मामला बड़ा रहस्यमय हो गया है.विकास ने कहा कि एक डॉक्टर साहब मात्र जनरल मेडिसिन डिग्री होल्डर हैं और पूर्व में गठियाबात रोग विशेषज्ञ और शिकायत के बाद अभी गठियाबात रोग ट्रेनी डिग्री लिखकर भोली भाली जनता को गुमराह करके उन्हें दो-पाँच हजार के इंजेक्शन को सत्तर हजार रुपयों में लगाया जाता है.