M. Karunanidhi Birthday special: करुणानिधि का राजनीतिक करियर काफी शानदार रहा है. वह चुनाव में कभी पराजित नहीं हुए. 1957 में उन्होंने कुलिथालाई से सफलतापूर्वक पहला चुनाव लड़ा था और उसके बाद से 2016 तक उन्होंने 13 चुनावों में कभी भी हार का सामना नहीं किया. 1969 में उन्होंने पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री का पद संभाला था. 2006 में वह आखिरी बार मुख्यमंत्री बने थे.

द्रमुक अध्यक्ष पद पर भी वह 1969 से अब तक बने रहे. वर्ष 1967 में द्रमुक ने राज्य से कांग्रेस को बाहर कर दिया, जिसके बाद से तमिलनाडु में या तो द्रमुक या तो अन्नाद्रमुक का शासन रहा है.

एम करुणानिधि का परिवार

करुणानिधि का जन्म 3 जून 1924 को तिरुवरूर के तिरुकुवालाई में दक्षिणामूर्ति नाम की जगह पर हुआ था. उनके पिता का नाम मुथूवेल और माता का नाम अंजुगम था. वह ईसाई वेलार समुदाय से थे और उनके पूर्वज तिरुवरूर के रहने वाले थे. उन्होंने तीन बार विवाह किया था. तीन पत्नियों में से पद्मारवती का निधन हो चुका है. दो अन्य दयालु और रजती हैं. उनके 4 बेटे और 2 बेटियां हैं. बेटों के नाम एमके मुथू, जिन्हें पद्मावती ने जन्म दिया था. एमके अलागिरी, एमके स्टालिन, एमके तमिलरासू और बेटी सेल्वी दयालु अम्मल की संतानें हैं. दूसरी बेटी कनिमोझी तीसरी पत्नी रजति से हैं.

करुणानिधि की लोकप्रियता

महज 14 साल की उम्र में करुणानिधि ने हिंदी भाषा विरोधी आंदोलनों के जरिए राजनीति में प्रवेश किया. इसके बाद उन्होंने द्रविड़ राजनीति का एक छात्र संगठन भी बनाया. 1957 में करुणानिधि पहली बार तमिलनाडु विधानसभा के विधायक बने और बाद में 1967 में वे सत्ता में आए और उन्हें लोक निर्माण मंत्री बनाया गया. साल 1969 में अन्ना दुरै के निधन के बाद वे राज्य के मुख्यमंत्री बने. 5 बार मुख्यमंत्री और 12 बार विधानसभा सदस्य रहने के साथ-साथ वे राज्य में अब समाप्त हो चुकी विधान परिषद के भी सदस्य रह चुके थे.

करुणानिधि का फिल्मी सफर

अपनी पहली ही फिल्म राजकुमारी से करुणानिधि ने लोकप्रियता हासिल की. उनकी लिखी गई 75 पटकथाओं में राजकुमारी, अबिमन्यु, मंदिरी कुमारी, मरुद नाट्टू इलवरसी, मनामगन, देवकी, पराशक्ति, पनम, तिरुम्बिपार आदि शामिल हैं. उन्होंने तमिल सिनेमा को शिवाजी गणेशन और एस.एस. राजेंद्रन जैसे कलाकार दिए. उनके लेखन में द्रविड़ आंदोलन की विचारधारा का पुट रहता था. कई पुरस्कार और सम्मान उनके नाम हैं. इसके अलावा दो बार डॉक्टरेट की मानद उपाधि से भी नवाजे गए.

करुणानिधि की किताबें

करुणानिधि की लिखी किताबों में रोमपुरी पांडियन, तेनपांडि सिंगम, वेल्लीकिलमई, नेंजुकू नीदि, इनियावई इरुपद, संग तमिल, कुरालोवियम, पोन्नर शंकर, तिरुक्कुरल उरई आदि शामिल हैं. गद्य और पद्य में लिखी उनकी पुस्तकों की संख्या एक सौ से भी अधिक हैं.

नाटककार करुणानिधि

20 साल की उम्र में करुणानिधि ने ज्यूपिटर पिक्चर्स के लिए पटकथा लेखक के रूप में कार्य शुरू किया. उन्होंने मनिमागुडम, ओरे रदम, पालानीअप्पन, तुक्कु मेडइ, कागिदप्पू, नाने एरिवाली, वेल्लिक्किलमई, उद्यासूरियन और सिलप्पदिकारम नाटक लिखे.

46 साल तक पहना काला चश्मा

एम करुणानिधि की 1971 में अमेरिका के जॉन हॉपकिंग्स अस्पताल में आंखों की सर्जरी हुई थी. इसके बाद से उन्होंने 46 साल तक काला चश्मा पहना. डीएमके में उनके साथी रहे और बाद में अन्नाद्रमुक की स्थापना करने वाले एमजी रामचंद्रन भी काला चश्मा पहनते थे. करुणानिधि ने 2017 में ही डॉक्टरों की सलाह पर काला चश्मा पहनना छोड़ा था. इसके बदले में उनके लिए इम्पोर्टेड चश्मा मंगवाया गया जो थोड़ा टिंटेड था. 40 दिन की खोज के बाद नया चश्मा फाइनल किया गया था.

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