देहरादून में अपहरण और दुष्कर्म के मुकदमे में पीड़िता कोर्ट में अपने बयानों से पलट गई। पीड़िता ने कोर्ट में कहा कि आरोपी उसका बचपन का दोस्त है, उसी के कहने पर उसे हिमाचल ले गया था। आरोपी ने उसके साथ दुष्कर्म नहीं किया है। इसके अलावा न्यायालय में उसके नाबालिग होने संबंधी दस्तावेज भी प्रस्तुत नहीं किए गए। इन्हीं सब साक्ष्यों के आधार पर न्यायालय ने आरोपी को बरी कर दिया।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता सौरभ दुसेजा ने बताया कि मुकदमा दो दिसंबर 2021 को नेहरू कॉलोनी थाने में दर्ज किया गया था। पीड़िता के भाई का कहना था कि उसकी नाबालिग बहन को अर्जुन सिंह निवासी नंगला माहेश्वरी, मंडावर, बिजनौर अपने साथ बहला-फुसलाकर ले गया। पुलिस ने इस शिकायत के आधार पर अर्जुन को हिमाचल से गिरफ्तार कर लड़की को बरामद किया। मुकदमे में पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट भी दाखिल की गई। इसमें हाइमन टॉर्न को दुष्कर्म का आधार बनाया गया। इस पर बचाव पक्ष ने जब जिरह की तो पीड़िता ने आरोपी के पक्ष में बयान दिए।
पीड़िता ने कोर्ट को बताया कि अर्जुन उसे जबरदस्ती अपने साथ नहीं ले गया था। बल्कि उसने खुद ही अर्जुन को आत्महत्या की धमकी दी थी। ऐसे में अर्जुन उसे अपने साथ ले गया। लेकिन, उसने दुष्कर्म नहीं किया था। पुलिस ने नाबालिग पीड़िता की उम्र को लेकर उसके माता-पिता के बयान भी दर्ज नहीं किए। न ही कोई ऐसे दस्तावेज कोर्ट में दाखिल हुए, जिनसे वह नाबालिग सिद्ध होती हो।
कोर्ट ने हाइमन टॉर्न की बात पर माना कि यह अत्यधिक व्यायाम और साइकिल चलाने से भी हो सकता है। इससे दुष्कर्म सिद्ध नहीं होता है। इन सब साक्ष्यों के आधार पर स्पेशल पोक्सो जज अर्चना सागर की अदालत ने अर्जुन को ससम्मान बरी करने के आदेश दे दिए।
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