लोकेश प्रधान, बरमकेला. इंजीनियर तो कई नए बड़े कारनामे करते है, और अपने काम में सफलता प्राप्त करते है. एक देशी इंजीनियर ने ऐसा काम किया है, जिसने बड़े-बड़े इंजीनियरों को भी हैरत में डाल दिया है. दरअसल मेहनत और लगन के बल पर बरमकेला के हेमसागर पटेल नाम के एक व्यक्ति ने बिना किसी विशेषज्ञ की सलाह के एक ऐसा यंत्र तैयार किया है. जिसे बाइक में लगाते ही धुएं में प्रदूषण की मात्रा कम हो जाती है. प्रदूषण मापने वाली मशीन भी इस बात का प्रमाण दे चुकी है कि 70 प्रतिशत तक प्रदूषण में कमी लाती है.
बरमकेला से 4 किमी दूर गोबरसिंहा के रहने वाले हेमसागर पटेल ने न कोई इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और न ही कहीं से कोई ट्रेनिंग ली है. भूगोल में एमए की डिग्री लेकर इन्होंने कई तरह के तकनीकी यंत्रों को बनाकर अपनी अलग पहचान कायम की है. बिना किसी विशेषज्ञ की सलाह के उसने एक ऐसा यंत्र तैयार किया है, जिसे बाइक में लगाते ही प्रदूषण की मात्रा कम हो जाती है. बाकायदा प्रदूषण मापने वाली मशीनें भी इस बात का प्रमाण दे चुकी है कि हेमसागर द्वारा बनाया गया यंत्र लगाने पर प्रदूषण लेवल में 70 फीसदी तक कमी आ जाती है. फिलहाल इस यंत्र को लोहे का बनाया गया है.
इस यंत्र की प्रमाणिकता को दर्शाने के लिए हेमसागर ने 29 जून को जिले में पॉल्युशन जांच के लिए घूम रहे मोबाइल वैन से जांच करवाई. एक बार बगैर यंत्र के तो दूसरी बार यंत्र लगाकर प्रदूषण जांच कराई. बगैर यंत्र लगाए बाइक का प्रदूषण लेवल 1.5 था, वहीं यंत्र लगाने के बाद प्रदूषण स्तर घटकर 0.469 हो गया. 3 हजार खर्च कर मात्र सात दिनों के भीतर प्रदूषण कम करने वाली फिल्टर बनाया है. लोहे से बने प्रदूषण नियंत्रक यंत्र को बाइक के साइलेंसर पर लगाया जाता है.
यंत्र के अंदर करीब 4 लीटर केमिकल डाला गया है. जब बाइक चलती है तो साइलेंसर से निकलने वाला धुआं यंत्र के अंदर लगे फिल्टर सिस्टम और केमिकल में घुलता है, जिसके कारण धुआं सिस्टम से फिल्टर होकर निकलता है और हानिकारक तत्व बाहर नहीं आ पाते. इस पूरी प्रक्रिया से प्रदूषण ऑटोमेटिक कम फैलता है. दिलचस्प बात यह है कि इस यंत्र के लगाने पर न तो बैटरी पर कोई प्रभाव पड़ता है और न ही पेट्रोल की कोई खपत होती है. हेमसागर ने इसे अपने डिस्क्वहर बाइक में प्रयोग किया है. 400 किमी चलाने के बाद अब तक इसमें कोई प्राब्लम नहीं आई है.