रायपुर। मंदिर जैसे स्थान में प्रवेश करते समय हम लोगों को कुछ ऐसी चीजें करने की आदत होती है, जिसे करना हम अनजाने में भी नहीं भूलते. जैसे मंदिर में प्रवेश करते समय ही उसके द्वार या सीढ़ियों को स्पर्श करना और प्रवेश करते से ही मंदिर के द्वार ऊपर लगी घंटियों को बजाना. लेकिन क्या आपको पता है मंदिर में प्रवेश से पहले सीढियों पर लोग माथा क्यों टेकते हैं?

आपको बता दें कि ऐसा करने के पीछे एक सामान्य मकसद यह है कि आप प्रवेश द्वार से ही देवता की पूजा शुरू कर रहे हैं. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि हम ऐसा इसलिए करते हैं मंदिर में प्रवेश करने के लिए आप देवता की अनुमति ले रहे हैं. इन दोनों बातें से साफ होता है कि हम ऐसा इसलिए करते हैं ताकि हम देवता को अपने विनम्र स्वभाव का परिचय दे सकें.

मंदिर द्वार की पहली सीढ़ी आपको मुख्य मंदिर और मूर्ति से जोड़ती है. हिंदू मंदिर वास्तुकला, स्थापत्य वेद पर आधारित है, जिसका मतलब है कि मंदिर का पूरा ढांचा इसी वेद को ध्यान में रखकर बनाया जाता है. इस वेद के अनुसार, गोपुरम यानि, मुख्य प्रवेश द्वार पर ही मंदिर के देवता के पैर विराजमान रहते हैं. यही कारण है कि मंदिर की पहली सीढ़ी छूना भगवान के पैर छूने के बराबर माना जाता है.