नई दिल्ली. एयर कंडीशनर (AC) से भी दुनिया के तापमान की तपिश तेज हो रही है. घर-दफ्तरों, वाहनों में लगे एसी लोगों को ठंडक जरूर पहुंचा जा रहे, लेकिन इनकी वजह से वातावरण झुलसाने जैसा हो रहा है.
विश्व आर्थिक मंच के अनुसार, दुनिया में 200 करोड़ एसी चल रहे हैं. वर्ष 2050 तक यह संख्या 600 करोड़ पार होगी. एसी से निकलने वाली ग्रीन हाउस गैस तापमान में 0.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि का कारण बनेगी. तीन अरब आबादी सबसे गर्म स्थान पर रहती है. इसमें से आठ फीसदी के पास एसी है. आगे इसका इस्तेमाल बढ़ेगा तो गर्मी और बढ़ेगी.
कार्बन उत्सर्जन बढ़ रहा
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार दुनिया में हर दस में से एक घर में एक एसी लगा है. गर्मी के मौसम में दुनियाभर में पैदा होने वाली 13 फीसदी बिजली एसी चलाने पर खर्च होती है. एसी के चलने और ऊर्जा के खपत से सालाना औसतन दो अरब टन कार्बन उत्सर्जन होता है. ये भारत में हर साल होने वाले कार्बन उत्सर्जन के बराबर है.
दिल्ली-एनसीआर में पारा 42 के करीब पहुंचा
दिल्ली-एनसीआर में शनिवार को अधिकतम तापमान 41.8 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया. मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि तीन दिन बाद गर्मी से राहत संभव है. ब्योरा P02
अमीर देशों के कारण संकट गहरा रहा
अमेरिका की पेन स्टेट यूनिवर्सिटी का कहना है कि संपन्न देश मौसम के लिए बड़ा संकट बन रहे हैं. अमेरिका, जापान और चीन एसी के इस्तेमाल में सबसे आगे हैं.