नई दिल्ली . कोरोना महामारी के दौरान देश में आरटीपीसीआर जांच के लिए विकसित की गई करीब साढ़े तीन हजार प्रयोगशालाओं के नए इस्तेमाल को लेकर गंभीता से विचार किया जा रहा है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के नियंत्रण में संचालित इन प्रयोगशालाओं का अभी कुछ खास इस्तेमाल नहीं हो रहा है. पहला विकल्प इनमें अब टीबी की जांच शुरू करने का रखा गया है.
आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा, कोरोना महामारी जब शुरू हुई थी तो आईसीएमआर और निजी क्षेत्र समेत देशभर में मुश्किल से 70 लैब थीं, जहां आरटीपीसीआर जांच की सुविधा उपलब्ध थी. उसके बाद इन सुविधाओं का तेजी से विस्तार किया गया और आज देश में करीब 3500 ऐसी प्रयोगशालाएं हैं, जहां आरटीपीसीआर टेस्ट हो सकते हैं. इन प्रयोगशालाओं में रोजाना दस लाख से ज्यादा टेस्ट किए जा सकते हैं. लेकिन अब रोजना एक लाख से भी कम टेस्ट हो रहे हैं. जबकि इनमें सभी आवश्यक संसाधन और तकनीकी विशेषज्ञ तैनात हैं. फिलहाल इन सुविधाओं को बंद नहीं किया गया.