नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी में बाइक-टैक्सी पर पाबंदी जारी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें इन दोनों कंपनियों को दिल्ली सरकार की ओर से एक नीति तैयार होने तक एग्रीगेटर लाइसेंस के बिना काम करने की अनुमति दी गई थी.

जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस राजेश बिंदल की अवकाशकालीन पीठ ने 12 जून को दिल्ली सरकार की याचिकाओं पर सुनवाई की. इसमें अब सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश पर स्टे लगा दिया है जिसमें कोर्ट ने निर्देश दिया था कि नीति अधिसूचित होने तक बाइक-टैक्सी संचालक के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसेल के बाद दिल्ली सरकार ने अश्वासन दिया है कि बाइक एग्रीगेटर्स के संचालन को विनियमित करने के लिए 31 जुलाई तक गाइडलाइन और लाइसेंसिंग नीति तैयार कर ली जाएगी.

बता दें कि दिल्ली सरकार ने शहर में बाइक टैक्सी को चलाने को लेकर एक नोटिस जारी किया था. इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के खिलाफ फैसला दिया था और शहर में बाइक टैक्सी चलाने के लिए अंतिम नीति अधिसूचित होने तक एग्रीगेटर लाइसेंस के बिना काम करने की अनुमति दी थी. मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी.

26 मई को दिल्ली हाईकोर्ट ने रैपिडो की याचिका पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करते हुए उसके एक कानून को चुनौती दी थी. इस कानून के तहत दोपहिया वाहनों को परिवहन वाहनों के रूप में पंजीकृत होने से बाहर रखा गया था. हाईकोर्ट ने इस मामले में सरकार को एक अंतिम नीति बनाने के लिए कहा था. साथ ही यह भी कहा था कि तब तक बाइक-टैक्सी एग्रीगेटर के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी.

क्या है पूरा मामला?

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने रैपिडो, उबर पर रोक लगाने वाले मामले के संबंध में केंद्र सरकार से जवाब मांगा था. दरअसल, दिल्ली सरकार ने फरवरी 2023 में ओला-उबर और रैपिडो जैसी कैब एग्रीगेटर कंपनियों की बाइक सर्विस पर रोक लगा दी थी.

इसके बाद, सरकार के फैसले के खिलाफ कंपनियों ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया था और सरकार के फैसले पर रोक लगा दी थी. इस फैसले को लेकर दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी.