पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री स्कूल जतन के तहत जिले के 5 ब्लॉक में 636 स्कूलों की मरम्मत कार्य के लिए करोड़ों रुपये सरकार ने स्वीकृत की है, लेकिन ठेकेदारों की लचर व्यवस्था और सुस्त रवैये के कारण काम पूरा नहीं हो सका. फिर से नौनिहाल जर्जर स्कूलों में भविष्य गढ़ने को बेबस होंगे. फिर छतों से पानी टपकेगा और फिर नौनिहाल खतरे के साय में पढ़ाई करेंगे. 636 स्कूलों की मरम्मत नहीं हो सकी है, जिससे प्रशासन कटघरे में है. 16 जून से नए सत्र की शुरूआत होगी, सुस्त ठेकेदारों के कारण करोड़ों की राशि दांव पर है. 15 फीसदी काम भी नहीं हो सका है.
दरअसल, देवभोग विकास खंड में मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के तहत दो चरणों में 154 स्कूल भवन मरम्मत के लिए 3 करोड़ 67 लाख की मंजूरी मिली है. काम की कछुआ गति के चलते महज 20 काम ही पूरा हो सका है. ठीक 4 दिन बाद 16 जून को नया शिक्षा सत्र शुरू होगा. ऐसे में निर्माणाधीन कार्यों के चलते स्कूलों में बैठक व्यवस्था चुनौती बनेगी. धीमी काम से प्रशासन भी चिंतित है.
एस डी एम अर्पिता पाठक ने जनपद सभागार में कार्य एजेंसी की बैठक लेकर काम जल्द पुरा करने कहा है. पाठक ने कहा की सीईओ, तहसीलदार भी कार्य की प्रगति की रोजाना निरीक्षण करेंगे. सत्र आरंभ के बाद बैठक व्यवस्था में दिक्कत न आए. ये हमारी कोशिश होगी.
आरईएस के लिए गले की हड्डी बन गई मरम्मत
काम की लंबी सूची व कम समय को देखते हुए विभाग को ज्यादा से ज्यादा ठेका फर्मों को यह काम देना था, लेकिन ऐसा नही किया।देवभोग का 154 काम महज 7 फर्मों के जिम्मे दिया गया. तकनीकी के जानकार विभाग ने ऐसा क्यों किया इसकी चर्चा काम आबंटन के समय जोरो पर थी. काम न मिलने से नाराज फर्म खुलेआम मांगे जाने वाले कमीशन का ढिडोरा पीट रहे थे. शिकायत कलेक्टर तक भी पहुंची.
तत्कालीन कलेक्टर प्रभात मालिक की चर्चा विभाग के ईई से बंद कमरे में भी हुई. इस बैठक के बाद दफ्तर लौटते ही ई ई वी एस पैकरा ने आबंटन की फाइल देखने वाले लिपिक को चार्ज से हटा कर कार्रवाई की. औपचारिकता पूरी की गई. 5 दिन पहले देवभोग दौरे पर आए ई ई वी एस पैकरा ने भी स्वीकार किया की फिंगेस्वर ब्लॉक को छोड़ शेष 4 ब्लॉक का काम संतोष प्रद नहीं हैं.
मास्टर जी से तकरार बाकी है
स्कूल खुलते ही इस आधे अधूरे काम को लेकर शिक्षको की नाराजगी भी आरई एस विभाग को झेलनी पड़ेगी. मरम्मत में मलाई की आस लेकर काम का ओवर स्टीमेट तैयार कराया गया था, लेकिन इस काम को कराने का तो दूर उनके पास निरीक्षण का भी अधिकार नहीं रह गया. मरम्मत के दौरान ठेकेदार व मास्टर जी के बीच कहा सुनी की बाते भी सामने आ रही हैं. देवभोग में 20 स्कूलों के मरम्मत सिर्फ इसलिए शुरू नहीं हो सके क्योंकि यहां खर्च ज्यादा होंगे.
पंचायत भी खामी निकालने के इंतजार में
काम में देरी की वजह भले तेज गर्मी व मनरेगा कार्यों के चलते मजदूरी का टोटा हो, लेकिन मरम्मत के इस काम को पाने ग्राम पंचायत भी आस में थी. काम का एलान होते ही सरपंच सचिव इस कार्य के लिए पंचायत को एजेंसी बनाने लामबद्ध हुई थी, लेकिन उनकी मांगों को सिरे से खारिज कर ग्रामीण सेवा यांत्रिकी विभाग (आरईएस) को दे दिया गया.
प्रशासन को उम्मीद थी कि पंचायत से बेहतर विभाग अपने ठेकेदारों से करवा लेगी, लेकिन काम आबंटन में हुए एडवांस मेल मिलाप के चलते विभाग के अफसर अपने चहेते ठेकेदारों पर दबाव नहीं बना पा रही है. नाम न छापने के शर्त पर एक पंचायत पदाधिकारी ने बताया की बैठक व्यवस्था चरमराते ही पालक व बच्चों के साथ लापरवाह आरईएस विभाग के खिलाफ जगह जगह से प्रदर्शन होगा.
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