पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद. जिले में डीएमएफ फंड (DMF Fund) से अनियमितता का एक और मामला सामने आया है. दरअसल, 2020 के कोरोना काल में एंबुलेंस की भारी आवश्यकता बताकर डीएमएफ फंड से इसकी खरीदी का प्रस्ताव तैयार किया गया था. हमारे पास मौजूद दस्तावेज के मुताबिक खरीदी के लिए जिला चिकित्सा अधिकारी (CMHO) को अधिकृत किया गया.

खरीदी के लिए सीएमएचओ ने 25 मई 2020 को वन मंत्रा धमतरी नाम के एक फर्म को न्यूनतम कोटेशन दर का हवाला देकर 5 इको एंबुलेंस खरीदी का कार्यआदेश जारी किया. जिसमे प्रति एंबुलेंस के लिए 9 लाख 94 हजार 999 रुपये दर तय कर लिया गया था. फर्म को एंबुलेंस के एवज में 3 जून 2020 को बतौर एडवांस 24 लाख 50 हजार का चेक दिया गया. अंतिम भुगतान 7 अगस्त 2020 को 25 लाख 695 रुपये कर दिया गया. खरीदी की पूरी जानकारी सूचना के अधिकार के तहत निकालने वाले देवभोग के आरटीआई कार्यकर्ता कन्हैया मांझी ने कोरोना काल में जिला प्रसाशन द्वारा खरीदे गए 5 एंबुलेंस में भारी गड़बड़ी का आरोप लगाया है.

आपदा के समय कमाई का अवसर

प्रशासन ने खरीदी के वक्त धमतरी के फर्म के लिए जो स्पेसिफिकेशन तय किए थे, उसी मापदंड में मारुति के अधिकृत शोरूम इको एंबुलेंस 6 से 7 लाख रुपये में उपलब्ध थी, और जिस फर्म से खरीदी की गई उसके जीएसटी नंबर में मेडिकल इक्विपमेंट, कपड़ा और एड्वटाइजिंग का रजिस्ट्रेशन था. जो कि ऑटोमोबाइल खरीदी बिक्री के लिए अधिकृत नहीं था. वन मंत्रा के जीएसटी पंजीयन में पता का पूरा ब्यौरा नहीं है. केवल धमतरी लिखा हुआ है. कन्हैया मांझी ने कहा कि आपदा के समय अफसरों ने मोटी कमाई का कैसे अवसर ढूंढ लिया, यह एंबुलेंस खरीदी इसका जीता जागता उदाहरण है. मांझी ने मामले में राज्यपाल और स्वास्थ्य मंत्री से संपूर्ण दस्तावेज समेत शिकायत करने की बात कही है.

ज्यादा कीमत वाले फर्म की जानकारी नहीं

मांझी ने एंबुलेंस खरीदी के संपूर्ण प्रक्रिया की जानकारी चाही थी, लेकिन सीएमएचओ दफ्तर ने जानकारी समय सीमा में नहीं दी. मांझी की पहली अपील के बाद ये जानकारी दी गई. इस जानकारी में क्रय नियम के तहत जारी निविदा के ज्ञापन विज्ञापन का जिक्र नहीं है. न ही उन प्रतिद्वंदी फर्म के नाम या कोटेशन उपलब्ध हैं. जिन्होंने वन मंत्रा से ज्यादा कीमत दर्शाया था. मांझी ने कहा कि इको एंबुलेंस की कीमत भारत भर में कहीं भी 9 लाख 94 नहीं है. आरोप है की गड़बड़ी को अंजाम देने धमतरी के संदेहास्पद फर्म के नाम से खेल किया गया.

एंबुलेंस में ज्यादातर स्पेसिफिकेशन गायब

जारी वर्क ऑर्डर में प्रशासन ने 10 से ज्यादा स्पेसिफिकेशन दिए थे. जिसमें से ज्यादातर कंपनी अपनी गाड़ियों में पहले से ही ये स्पेसिफिकेशंस उपलब्ध करा रहे थे. अतरिक्त टूल के रूप में मुवेबल ट्रांसपोर्टेशन स्ट्रेचर देना था, बैटरी ऑपरेटर सेक्शन मशीन, मिनी सिलेंडर मेटिंग भी नदारद है.

मामले को लेकर गरियाबंद CMHO के.सी. उरांव का कहना है कि मामला पूर्व के कार्यकाल का है. खरीदी डीएमएफ फंड से हुई है. मामले की अब तक कोई शिकायत नहीं मिली है. ऐसी कुछ गड़बड़ी है तो कलेक्टर को अवगत करा कर जवाबदारी तय की जाएगी.