बिलासपुर। जिला उपभोक्ता आयोग ने एक महत्वपूर्ण फैसले में मौसाजी ऑटोकॉर्प पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. आयोग ने यह आदेश कार की डिलीवरी देते समय अपनी टाई अप अनुबंधित बीमा कंपनी से बीमा कराने के लिए बाध्य करने पर दिया है.
जानकारी के अनुसार, मेलुराम कर्मकार ने मौसाजी ऑटोकॉर्प बिलासपुर से एक कार बुक कराई थी, जिसमें पूरी राशि जमा करने के बाद उसे उसी शोरूम से टाईअप कंपनी का बीमा कराने के लिए बाध्य किया गया, इसके साथ महंगे असेसरीज भी शोरूम से लेने कहा गया था. परिवादी मेलु राम कर्मवीर ने इससे इनकार करते हुए अपनी पसंद की बीमा कंपनी से स्वयं बीमा कराने को कहा, जिस पर मौसाजी ऑटोकार्प ने वाहन की डिलीवरी देने से इनकार किया दिया.
पूरा पैसा जमा होने के पश्चात भी जब मेलुराम कर्मवीर को वाहन की डिलीवरी नहीं दी गई, तब उसने अपने अधिवक्ता के माध्यम से मौसाजी ऑटो कार्प को नोटिस दिया और स्वयं बीमा करा कर प्रस्तुत किया, तब 15 दिनों की देरी से कार की डिलीवरी दी गई.
जिला उपभोक्ता आयोग ने सुनवाई पश्चात पाया कि मौसाजी ऑटोकॉर्प द्वारा अवरोधक व्यापारी व्यवहार के तहत उपभोक्ता के अधिकारों का उल्लंघन किया गया है. परिवाद में वर्णित शिकायत साबित पाते हुए उसे 50000 रुपए क्षतिपूर्ति के रूप में देने का तथा परिवाद के व्यय के रूप में 2000 रुपए दिए जाने का आदेश दिया गया है. साथ ही मौसाजी ऑटोकॉर्प को यह भी आदेशित किया गया है कि भविष्य में किसी भी उपभोक्ता के साथ इस प्रकार का अवरोधक व्यापारी व्यवहार नहीं करेगा.
क्या कहता है उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 2(41) के अनुसार कोई भी व्यक्ति, विक्रेता किसी भी उपभोक्ता को इस प्रकार बाध्य नहीं कर सकता कि वह किसी माल या सेवा की पूरोभाव्य शर्त के रूप में क्रय करने के लिए प्रतिस्पर्धी बाजार मूल्य के विपरीत या उपभोक्ता की पसंद की किसी वस्तु क्रय करने से अथवा कोई सेवा प्राप्त करने में कोई अवरोधक शर्त रखे.