नई दिल्ली। कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दल यह कहने से नहीं थक रहे हैं कि भारत की आर्थिक स्थिति खराब है. महिलाएं गैस सिलेंडर नहीं भरवा पा रही हैं, युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है, महंगाई ने मध्यम वर्ग की कमर ही तोड़ दी है… लेकिन भारत की जनता आर्थिक स्थिति को लेकर दुनिया के तमाम मुल्कों से कहीं ज्यादा आश्वस्त नजर आती है. इस बात का खुलासा वाशिंगटन डीसी में स्थित एक गैर-पक्षपाती अमेरिकी थिंक टैंक प्यू रिसर्च सेंटर (Pew Research Centre) के सर्वेक्षण में हुआ है.

प्यू रिसर्च सेंटर द्वारा किए गए सर्वेक्षण 24 में से 18 देशों में अधिकांश वयस्कों ने इस वसंत में अपने देश की आर्थिक स्थिति को खराब कर दिया है. इन देशों में औसतन 70% वयस्कों का कहना है कि उनके देश की आर्थिक स्थिति खराब है. सिर्फ 29% ही सकारात्मक आंकलन की पेशकश करते हैं.

प्यू रिसर्च सेंटर का यह विश्लेषण उत्तरी अमेरिका, यूरोप, मध्य पूर्व, लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 24 देशों में आर्थिक स्थितियों के बारे में जनता की राय पर केंद्रित है. 2023 के वसंत में अर्थव्यवस्था के मूल्यांकन की जांच दीर्घकालिक रुझान डेटा और प्रत्येक देश की सत्ताधारी पार्टी के समर्थन के संदर्भ में की जाती है. 2019 के बाद यह पहला साल है, जब ग्लोबल एटीट्यूड सर्वे में कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के देशों को शामिल किया गया है.

यह रिपोर्ट 20 फरवरी से 22 मई 2023 तक 27,285 वयस्कों के राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधि सर्वेक्षणों पर आधारित है. कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, इटली, जापान जैसे देशों में वयस्कों के साथ फोन पर सभी सर्वेक्षण किए गए थे. वहीं नीदरलैंड, दक्षिण कोरिया, स्पेन, स्वीडन और यूनाइटेड किंगडम, हंगरी, पोलैंड, भारत, इंडोनेशिया, इज़राइल, केन्या, नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका, अर्जेंटीना, ब्राजील और मैक्सिको में आमने-सामने सर्वेक्षण किए गए. ऑस्ट्रेलिया में मिश्रित-मोड प्रायिकता-आधारित ऑनलाइन पैनल का उपयोग किया.

अर्जेंटीना, फ्रांस, इटली, जापान, केन्या, नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया और यूनाइटेड किंगडम में कम से कम तीन-चौथाई वयस्क अपने देश की अर्थव्यवस्था का नकारात्मक मूल्यांकन करते हैं. वहीं ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, ग्रीस, हंगरी, पोलैंड, स्पेन, स्वीडन और संयुक्त राज्य अमेरिका में छोटी बहुमत यही बात कहती है. केवल भारत, इंडोनेशिया, मैक्सिको और नीदरलैंड में ही ज्यादातर लोग अपनी आर्थिक स्थिति को अच्छा बताते हैं. जर्मनी और इज़राइल में लोग मोटे तौर पर विभाजित हैं.