रायपुर. सीजीपीएससी में कथित गड़बड़ी का आरोप लगाकर भाजपाइयों ने आज प्रदर्शन किया. इस पर पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुए प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि आज भारतीय जनता पार्टी ने राज्य लोक सेवा आयोग की कथित गड़बड़ी का आरोप लगाकर मुख्यमंत्री निवास घेराव का असफल प्रयास किया. भाजपा के प्रदर्शन को राज्य के युवाओं ने नकार दिया. भाजयुमो के प्रदर्शन से युवा गायब रहे. भाजपा के नेता जो जनता द्वारा नकारे जाने के बाद बेरोजगार हो चुके मंच पर बैठे दिखे.

सुशील आनंद ने कहा, बमुश्किल से कुछ सौ युवा ही भाजयुमो के प्रदर्शन में पहुंचे. देश के सत्तारूढ दल के युवा ईकाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नेतृत्व के प्रदर्शन में बमुश्किल चार-पांच सौ लोग ही शमिल हुए. उन्होंने कहा, भाजपा के पास सरकार के खिलाफ कोई मुद्दा नहीं है तो भारतीय जनता पार्टी ऐसी संस्थाओं की विश्वसनीयता को संदिग्ध बनाने का षडयंत्र कर रही है, जिन पर प्रदेश के युवाओं को भरोसा है.

उन्होंने कहा, राज्य लोक सेवा आयोग ऐसी संस्था है, जो पढ़े लिखे युवाओं के सपनों को साकार करती है. बिना किसी ठोस आधार के अपनी दूषित कल्पना शीलता के आधार पर पीएससी जैसी संस्थाओं पर सवाल खड़ा किया जाना न सिर्फ निदंनीय है आपत्तिजनक भी है. यह ऐसा प्रकरण है, जिसमें शिकायतकर्ता कोई नहीं है सिर्फ राजनैतिक दल अपनी राजनैतिक रोटी सेक रहा और सीबीआई जांच की मांग कर रहा है.

सुशील आनंद ने कहा, गड़बड़ी के मनगढ़ंत आरोप लगाना भारतीय जनता पार्टी का निम्न स्तरीय हथकंडा है. पीएससी के सफल परीक्षार्थियों की उत्तर पुस्तिका उनकी अंकतालिका पीएससी की वेबसाइट पर सार्वजनिक है. अभ्यर्थी उसको देख सकता है. किसी अभ्यर्थी ने कोई भी गड़बड़ी का आरोप नहीं लगाया है. किसी मेरिट में चयनित अभ्यार्थियों के लिखित परीक्षा की अपेक्षा व्यक्तित्व परीक्षण के अचंभित करने वाले या संदेहास्पद नंबर मिले हो तो भी उसके आधार पर चयन सूची पर सवाल खड़ा किया जाए तो भी तार्किफ लगता है, लेकिन बिना किसी आधार के राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा के रिजल्ट में सवाल खड़ा किया जाना भाजपा के मानसिक और राजनैतिक दिवालियेपन को दर्शाता है. राज्य के युवा इसको कदापि बर्दास्त नहीं करेंगे.

उन्होंने कहा, भाजपा के पास पीएससी की चयन सूची में गड़बड़ी के आरोपो का आधार क्या है? सिर्फ यही कि पीएससी में नेताओं, अधिकारियों, व्यवसायियों के बच्चो के कुछ नाम चयनित हो गये है. भाजपा को आपत्ति है कि पीएससी में सगे भाई-बहन, पति-पत्नि का चयन कैसे हो गया? जबकि परस्पर रिश्तेदारों का चयन किसी अधिकारी के रिश्तेदारों का चयन या व्यवसायी नेता के रिश्तेदारों का चयन पहली बार नहीं हुआ है और न ही यह अपराध और न ही किसी का रिश्तेदार होना अयोग्यता का पैमाना हो जाता है. भाजपा के समय भी 2004 से 2021 तक भी परस्पर सबंधियांे के चयन होते रहे हैं. हम इसकी सूची सार्वजनिक कर चुके हैं.

सुशील आनंद ने कहा, भाजपा नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि पीएससी ने सबूत मिटाने उत्तर पुस्तिकाओं को नष्ट करने निविदा मंगाया है, जबकि राज्य लोक सेवा आयोग परीक्षा परिणाम के दो साल तक उत्तर पुस्तिका सुरक्षित रखता है. वर्तमान में भी जो निविदा मंगाया है वह 2020 तक की है. यह एक सामान्य प्रक्रिया है. भाजपा के नेता बिना तथ्यों के आरोप लगा कर भ्रम फैला रहे हैं. इस प्रदेश में भाजपा के 15 सालों तक राज्य लोक सेवा आयोग तत्कालीन मुख्यमंत्री निवास का गुलाम बन गया था. 15 साल में मात्र 9 परीक्षाएं आयोजित हुई थी. रमन राज में पीएससी में गड़बड़ी के प्रमाणित आरोप लगे थे. तत्कालीन पीएससी अध्यक्ष अशोक दरबारी को राज्यपाल ने सस्पेंड किया था.

सुशील आनंद ने आगे कहा, तत्कालीन पीएससी के कार्यवाहक अध्यक्ष खेलनसाय जांगड़े की पुत्री का चयन डिप्टी कलेक्टर के रूप में हुआ था. हमने उस पर सवाल नहीं खड़ा किया, क्योकि रिश्तेदार होना गड़बड़ी का आधार नहीं माना जा सकता. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्पष्ट कहा है कि यदि पीएससी के चयन सूची में गड़बड़ी के कोई भी ठोस आधार साक्ष्य है तो उसको सामने लाएं, जांच कर कड़ी कार्यवाही की जाएगी. अपने राजनैतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए राज्य लोक सेवा आयोग पर सवाल किया जाना सर्वथा अस्वीकार्य है.

कोई तथ्य है तो मुकदमा दायर करें: आरपी सिंह

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने कहा कि भाजपा के पास कथित पीएससी घोटाले का कोई तथ्य नहीं है. हम चुनौती देते हैं कि उनके पास कोई तथ्य है तो अदालत में जाकर मुकदमा दायर करें, लेकिन इनके आरोप झूठे और पीएससी की छवि खराब करने वाले हैं. पत्रकारवार्ता में प्रदेश कांग्रेस महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला, प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह, धनंजय सिंह ठाकुर, सरेन्द्र वर्मा, प्रदेश कांग्रेस सचिव अजय साहू नितिन भंसाली, वंदना राजपुत, अजय गंगवानी, रिषभ चंद्राकर, सत्यप्रकाश सिंह उपस्थित थे.