हैदराबाद. तेलंगाना विधानसभा चुनाव से पहले सियासी हलचल तेज हो गई है. पूर्व माओवादी विचारक और क्रांतिकारी बालादीर गदर ने बुधवार को घोषणा की कि वह गदर प्रजा पार्टी नाम से एक नई पार्टी बनाएंगे. उन्होंने पार्टी के पंजीकरण के लिए नई दिल्ली में भारत निर्वाचन आयोग को आवेदन दिया है.
बालादीर गदर ने मीडियाकर्मियों से कहा कि यह जनता की पार्टी होगी. उन्होंने कहा, चूंकि जीने का अधिकार खुद खतरे में है, इसलिए हमारी पार्टी भारत के संविधान द्वारा गारंटीकृत इस मूल अधिकार की रक्षा के लिए लड़ेगी. गदर ने कहा कि जनता का झंडा और एजेंडा पार्टी का झंडा और एजेंडा होगा.
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वह चुनाव लड़ेंगे. हालांकि, उन्होंने कहा कि निर्वाचन क्षेत्र पार्टी द्वारा तय किया जाएगा. उन्होंने कहा, जब मैं व्यक्तिगत रूप से लड़ रहा था, मैंने कहा था कि मैं केसीआर के खिलाफ चुनाव लड़ूंगा, लेकिन अब एक पार्टी है और वह निर्वाचन क्षेत्र तय करेगी.
बता दें कि पिछले साल अक्टूबर में, गदर इंजीलवादी के ए पॉल की प्रजा शांति पार्टी (पीएसपी) में शामिल हो गए थे और मुनुगोडे विधानसभा उपचुनाव में पार्टी के लिए प्रचार करने का फैसला किया था. गदर द्वारा एक अलग पार्टी बनाने की घोषणा के तुरंत बाद पॉल ने कहा कि वह गदर को पीएसपी से निलंबित कर रहे हैं.
पॉल ने आरोप लगाया कि पीएसपी में शामिल होने के बाद, गदर ने तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रेवंत रेड्डी के साथ सौदा किया था. 2017 में माओवादियों से अपना नाता तोड़ने वाले गदर ने उसी साल खुद को मतदाता के रूप में नामांकित किया और अपने जीवन में पहली बार 2018 में वोट डाला था.
पिछले साल सितंबर में कयास लगाए जा रहे थे कि वह कांग्रेस पार्टी में शामिल होंगे. कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता भट्टी विक्रमार्क ने उनसे पार्टी में शामिल होने और राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने का अनुरोध किया था. गदर के बेटे जी.वी. सूर्य किरण 2018 में कांग्रेस में शामिल हुए थे. गदर ने भी कुछ विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के लिए प्रचार किया था, लेकिन उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा था.
1969-70 के दशक में तेलंगाना आंदोलन के दौरान उस्मानिया यूनिवर्सिटी इंजीनियरिंग कॉलेज में रहने के दिनों से ही गदर के नाम से मशहूर गुम्मदी विट्टल राव एक क्रांतिकारी गायक और नक्सलवाद के हमदर्द थे. वह 1980 के दशक में भूमिगत हो गए और एक यात्रा थिएटर समूह जन नाट्य मंडली की स्थापना की. सरल गीतों के साथ अपने भावपूर्ण, मधुर लोक गीतों के लिए जाने जाने वाले गदर ने लोगों, विशेषकर युवाओं को माओवादी विचारधारा की ओर आकर्षित किया.
समूह बाद में सीपीआई (एमएल) पीपुल्स वार का सांस्कृतिक विंग बन गया, जो 2004 में माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एमसीसी) के साथ विलय कर सीपीआई (माओवादी) बना. गदर 1997 में एक हत्या के प्रयास से बच गया था. हैदराबाद के बाहरी इलाके में स्थित उसके आवास पर अज्ञात लोगों ने उसे गोली मार दी थी. उन्होंने हत्या के प्रयास के लिए पुलिस और तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) सरकार को जिम्मेदार ठहराया था.
2004 में तत्कालीन आंध्र प्रदेश सरकार और पीपुल्स वार के बीच पहली सीधी बातचीत में, गदर ने क्रांतिकारी लेखकों और कवियों वरवरा राव और कल्याण राव के साथ माओवादियों के दूत के रूप में काम किया था. 2017 में उन्होंने माओवाद छोड़ दिया और खुद को अंबेडकरवादी घोषित कर दिया.
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