बलरामपुर. जिनके जिम्मे वन और वनसंपदाओं के सुरक्षा की जिम्मेदारी है, उनके लिए अब तस्करी और अवैध उगाही की बात सामान्य सी हो गई है. आपसी साठ-गांठ से यहां अवैध कार्यों को शह दी जा रही है. वन अमले के कुछ लोग अब वनों की कटाई और तस्करी में खुलकर साथ दे रहे हैं. ऐसा ही एक मामला बलरामपुर जिले से सामने आया है. जहां जिम्मेदार अधिकारी ने लकड़ी से भरे एक पिकअप वाहन को छत्तीसगढ़ की सीमा से उत्तरप्रदेश जाने के लिए अपने करीबी के फोन पे (phone pay) पर 5 हजार रुपये मंगवा लिए.
दरअसल, मामला बलरामपुर वन मंडल के वन परिक्षेत्र वाड्रफनगर अंतर्गत धनवार बॉडर जांच नाके का है. यहां पदस्थ नाका प्रभारी जगदीश पाल को वन संपदाओं की अवैध तस्करी को रोकने की जिम्मेदारी दी गई है. लेकिन महाशय के कारनामें ने ये साबित कर दिया कि उन्हें अपनी जिम्मेदारी से ज्यादा पैसा प्यारा है. फिर चाहे इके लिए जंगल ही क्यों ना उजाड़ जाए.
5 हजार दो नहीं तो गाड़ी जब्त
असल में हुआ ये था कि बीते 16 जून की रात जांच नाके पर एक पिकअप वाहन आई. जसमें चिरान लकड़ी लोड थी. वाहन चालक अपने पिकअप वाहन को तिरपाल से ढका हुआ था. जांच के दौरान जब तिरपाल को हटाया गया तो ‘जिम्मेदार’ प्रभारी भड़क गए. वाहन चालक ने दस्तावेज भी दिखाए कि ये निलगिरी की लकड़ी है. जिसके परिवहन में छूट है. (सामान्य बिल होने पर). लेकिन प्रभारी ने तो ठान ली थी कि चाहे जो भी हो, हमें तो पैसे चाहिए. फिर क्या था, उसने पिकअप वाहन समेत लकड़ी जब्त करने की धमकी दे दी. या फिर इसके एवज में 5 हजार रुपये तत्काल देने को कहा. उस दौरान वाहन चालक ने फोन पे के माध्यम से अधिकारी के अधीन कार्यरत कर्मचारी के करीबी को 5 हजार रुपये दिए. जिसके बाद गाड़ी को छोड़ दिया गया. फिर सुबह जब स्थानीय लोगों ने पूछताछ की तो पैसा वापस किया गया.
मामले की होगी जांच- एसडीओ
मामले में एसडीओ वन विभाग अनिल पैकरा ने कहा कि मीडिया के माध्यम से जानकारी लगी. नाके पर पदस्थ वन कर्मी द्वारा नीलगिरी चिरान का परिवहन होना बताया है. पैसे लेने की बात भी सामने आ रही है, जिसकी जांच की जाएगी. आरोप सिद्ध होता है तो उचित कार्रवाई के लिए उच्चाधिकारियों के पास मामला भेजा जाएगा.
यहां देखने वाली बात ये है कि जिस तरह से प्रभारी ने पैसे देने पर गाड़ी को रवाना कर दिया, तो दिन में यहां से कई गाड़ियां जाती हैं, जिसमें अधिकतर गाड़ियां अवैध परिवहन में लगी होती हैं. अगर ऐसा ही चलता रहा तो ऐसे भ्रष्ट लोग पैसे लेकर यूं ही गाड़ियां छोड़ते जाएंगे.
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