पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद। छत्तीसगढ़-ओडिशा बॉर्डर पर शिकारियों की भरमार थी, देश गन फैक्ट्री से लेकर बंदूकों की भरमार थी, जिसकी भनक एंटी पोचिंग टीम को लग गई. अलग-अलग इलाके में लगातार छापेमारी जारी है. शिकारियों पर शिकंजा कसा जा रहा है. वन और वन्य जीवों को बचाने के लिए टीम ने ऑपरेशन अभ्यारण्य छेड़ दिया है. देशी गन फैक्ट्री में छापेमारी से हड़कंप मचा है. 3 शिकारी हिरासत में हैं और सरगना की तलाश जारी है.

दरअसल, 21 जून को उपनिदेश वरुण जैन के निर्देश में उदंती सीता नदी अभ्यारण की एंटी पोचिंग टीम अब शिकारियों को हथियार बरामद करने वाले आरोपियों को पकड़ने कालाहांडी पहुंची. यहां के डीएफओ गजानंद देवांगन के साथ मिल एक सयुंक्त ऑपरेशन चलाया.

जयपटना थाना क्षेत्र में मौजूद इंद्रावती बांध के ऊपर पहाड़ों में बसे मंगलपुर गांव में टीम ने दबिश दी. इस गांव में देशी भरमार बनाया जाता है. 13 जून को कोयबा और नवरंगपुर जिले में पकड़े गए आरोपियों से जो हथियार मिले थे, उसे मंगलपुर से खरीदी करना बताया गया था.

शिकारियों ने इसके लिए ऑन लाइन मनी ट्रांसफर भी किया था. पकड़े गए शिकारियों से मिले तथ्य के आधार पर संयुक्त टीम ने 21 को पहले 5 लोगों को हिरासत में लिया था. उसमें से 3 को पूछताछ के लिए भवानी पटना वन मुख्यालय ले जाया गया. संदेहियों के पास से हथियार बनाने के सामान, एक दांत ( बाघ प्रजाति के जानवर के) कुछ जंगली जानवरों के अवशेष भी जब्त किए गए हैं.

मामले का मुख्य आरोपी अब तक फरार है. वरुण जैन ने कहा कि अभी पड़ताल जारी है. भवानी पटना प्रशासन इसमें कार्रवाई कर रही है. पूछताछ पूरी होने के बाद फॉरेस्ट एक्ट के अलावा ओडिशा में ही आर्म्स एक्ट के तहत कार्रवाई होगी. मामले में अब तक कालाहांडी वन प्रशासन ने कोई अधिकृत जानकारी नहीं दी है.

आजादी से पहले से बनाए जाते हैं हथियार

स्थानीय जानकार शेषदेव बेहरा ने बताया कि मंगलपुर में आजादी के पहले से ही देशी हथियार बनाए जाते थे. जयपटना राज घराने के राजा उमाशंकर देव ने बिंधानी परिवार को बसाया था. उस समय शिकार आम बात थी, तब बसाए गए परिवार भरमार और अन्य हथियार बना कर राजवाड़ों को देते थे. समय के साथ प्रतिबंध लगा तो इन्हें दूसरे रोजगार से जोड़ने के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए गए.

परिवार के कुछ सदस्य आज भी हथियार बनाने का प्रतिबंधित काम कर रहे हैं. समय समय पर पुलिस ने कार्रवाई भी की है. बताया जाता है कि दूर दराज से शिकारी इनके पास हथियार बनवाने आते हैं. 5 हजार से लेकर 20 हजार तक के देशी हथियार बनाए जाते हैं.

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