पंकज सिंह भदौरिया,दन्तेवाड़ा. पिता के मौत के बाद बच्चे गरीबी और लाचारी की जिंदगी जी रहे है. खाने के लिए दो वक्त की रोटी के लिए तरस रहे है. बेटियां आगे पढ़ना चाहती है, लेकिन उनके पढ़ाई का बोझ उठाने के लिए घर में कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति नहीं है. ये दर्दभरी कहानी दंतेवाड़ा जिले के बारसूर के बैरागी परिवार का है. कुछ महीने पहले ये परिवार हांसता खेलता था. पर एक दिन इनके हांसते-खेलते जिंदगी पर ग्रहण लग गया. और परिवार के मुखिया दिलीप बैरागी का आकस्मिक मौत हो गया. जिसके बाद मां ने जिला कलेक्टर से बेटियों को आगे पढ़ाने के लिए गुहार लगाई है.
परिवार के मुखिया की मौत के कुछ महीने बाद इनकी माली हालत खराब हो गई है. इस परिवार में मां लक्ष्मी बैरागी और उसकी तीन बेटियां है. बड़ी बेटी युक्ता कक्षा आठवी, मंझली बेटी गीतिका कक्षा सांतवी और छोटी बेटी रक्षा बैरागी कक्षा चौथी में पढ़ रही है. और आगे भी पढ़ाई करना चाहती है. पर अब पिता की मौत के बाद घर की बत्तर स्थिति के कारण बेटियां आगे पढ़ने में सक्षम नहीं है. बैरागी परिवार पूरी तरह से टूट गया है.
क्योंकि घर में कमाने वाला उनके अलावा कोई दूसरा सक्षम नहीं है. जिसके बाद जिम्मेदारियों को पूरी नहीं कर पाने पर मां ने जिला कलेक्टर सौरभ कुमार गुहार लगाई है.
मां लक्ष्मी बैरागी बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ की पहल से प्रेरित होकर कलेक्टर से मदद मांगी है. बेटियों को सक्षम और सबल बनाने के लिए बेटियों को गीदम ब्लाक के किसी निःशुल्क स्कूल में प्रवेश दिला दें. जहां हॉस्टल की सुविधा हो जिससे वो दो वक्त का खाना भी खा सके. जिससे बच्चियों की पढ़ाई आगे भी जारी रह सके. और पढ़ लिखकर आगे कुछ बन सके. अब देखना यह होगा कि क्या इन बेटियों को कलेक्टर किसी स्कूल में दाखिला करवाएंगे. और वो तीनों बेटियां क्या आगे पड़ सकेंगी.