वैभव बेमेतरिहा

रायपुर । क्या सोच रहे हैं ? सब सुलझ गया, जो हुआ वो काफी है. नहीं मेरे दोस्त कांग्रेस में पिक्चर अभी बाकी है ! कांग्रेस के मुद्दे असानी से नहीं सुलझते. वक्त लगता है एक-दूसरे से निपटते-निपटते. फिर अब तो चुनावी मौसम है. सियासी उठा-पठक का दौर चलेगा. किसी को प्रमोशन, किसी को डिमोशन मिलेगा. इस खेल में कांग्रेस के अंदर एक से एक माहिर खिलाड़ी हैं. उन्होंने भी अपना पूरा दम दिखा दिया, जिसे सब अनाड़ी समझते रहे हैं. संगठन में मुखिया की जिम्मेदारी संभालने के बाद से ही अपनी ताकत बढ़ाते रहे हैं. कई मौकों पर अपनी मर्जी चलाते रहे हैं. छत्तीसगढ़ को छोड़ दिल्ली तक दौड़ लगाते रहे हैं. पार्टी हाईकमान तक पैठ जमाते रहे हैं.

यही वजह है कि सत्ता की नाराजगी के बाद भी कई मौकों पर संगठन की चल निकली. बात सुनी भी गई, मानी भी गई. लेकिन ऐसा भी नहीं कि सब ठीक हुआ हो और परेशानी नहीं गई. परेशानी तो होती रही है. बिना सुझावों के लिए गए निर्णयों पर रोक-टोक होती रही है. कई बार मनमानी पर ब्रेक भी लगा है. संगठन प्रमुख को स्पीड कंट्रोल कर रिवर्स गियर भी लेना पड़ा है. इस बार भी ऐसी स्थिति बन पड़ी है. ये और बात है कि गाड़ी अभी स्टॉपेज पर ही खड़ी है.

दरअसल मसला संगठन को अपने हिसाब से चलाने और सत्ता को विश्वास में नहीं ले पाने का है. दो का कद बढ़ाने और एक का कद घटाने का है. लिहाजा बात बनने से पहले ही बिगड़ गई. जानकारी उच्च स्तर पर हुई तो प्रदेश प्रभारी बिफर गईं. आनन-फानन पीसीसी के आदेश पर रोक लगाने का निर्देश हुआ. ये और बात है कि निर्देश का तत्काल पालन नहीं हुआ. बात समीक्षा पर जाकर अभी खत्म हो गई है. यही वजह है कि पीसीसी ने अब तक नहीं बताया कि नियुक्तियां रद्द हो गई है ?

आगामी आदेश तक पीसीसी में जो बदलाव हुआ है वो यथावत है. कांग्रेस में पिक्चर अभी बाकी है दोस्त ये सच है. इसी सच के आगे पार्टी के अंदर शायद बहुत कुछ चल रहा है. जानकर बताते हैं कि अब दिल्ली से समाधान निकल रहा है. लेकिन समाधान किस रूप में निकल रहा है इसी का सबको इंतजार है. क्या किसी बड़े बदलाव के लिए संगठन तैयार है ?

वैसे सियासी गलियारों में अफवाहों पर चर्चा खूब होती है. बात अक्सर वो बड़ी हो जाती है, जो लगती छोटी है. तो नजर बनाकर रखिए, छोटी-छोटी सियासी बातों पर, चुनावी साल में लाभ-हानि, नफा-नुकासन-घाटों पर है. कौन ? कहाँ ? किस तरह ? कैसे फायदे में हैं ? सब धीरे-धीरे पता चलेगा ये कहां काफी है ? कांग्रेस में पिक्चर अभी बाकी है… !

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