धार। मध्यप्रदेश में रिश्वतखोरी लगातार बढ़ती जा रही है। आज रिश्वत मांगने वाले डॉक्टर और मलेरिया निरीक्षक को 4-4 साल की कारावास की सजा सुनाई है। उन पर जुर्माना भी लगाया गया है। डॉक्टर और मलेरिया निरीक्षक ने बिल भुगतान को लेकर घूस की डिमांड की थी। जिस पर लोकायुक्त की टीम ने उन्हें रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। जिसके बाद आज सजा का ऐलान हुआ है।
इस मामले में उप संचालक अभियोजन टीसी बिल्लौरे ने बताया कि 21 जुलाई 2017 को शिकायतकर्ता नितेश दशोधी ने लोकायुक्त कार्यालय इंदौर में शिकायत की थी कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धरमपुरी में डॉ. मोहन गुप्ता और मलेरिया निरीक्षक अरविंद्र 70 हजार 140 रुपए के बिल भुगतान के लिए 26 हजार की मांग की है। 26 जुलाई 2017 को मलेरिया निरीक्षक ने शिकायतकर्ता से 26 हजार रुपए कमीशन के रूप में मांग की थी।
18 जुलाई 2017 को शिकायतकर्ता जब डाॅक्टर से मिला, तो डाॅक्टर ने कमीशन की 30 हजार रुपए मलेरिया निरीक्षण को देने की बात कही। जिसके बाद इसकी शिकायत लोकायुक्त कार्यालय इंदौर में की गई। शिकायत सही पाए पर लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक ने ट्रैप दल गठित किया। ट्रैप की कार्रवाई के लिए टीम को 21 जुलाई 2017 को शासकीय अस्पताल धरमपुरी भेजा गया।
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जहां शिकायतकर्ता नितेश दशोधी से 20 हजार रिश्वत लेते मरेलिया निरीक्षण और डॉ. मोहन गुप्ता को रंगे हाथों पकड़ा गया था। मामले में आरोपियों का प्रमाणीकरण 6 जुलाई 2019 को न्यायालय में पेश किया गया था। जिसके बाद आज मामले में प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश ने रिश्वतखोर आरोपियों को धारा 7, 13(1)(डी), 13 (2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत 4-4 साल का कारावास की सजा और जुर्माने से दंडित किया है।
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