कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए शिक्षा विभाग के डीपीआई को जमकर फटकार लगाई है। उच्च न्यायालय ने कहा कि भोपाल में प्रोटोकॉल के अलावा और भी कोई काम है सरकारी कर्मचारियों का, कि दिनभर सिर्फ माला पहनना-पहनाना और स्टेज की शोभा बढ़ाना है। कभी सोचा है आपका दायित्व क्या है ? इस पद पर किस लिए बैठाया है, केवल कुर्सी की शोभा बढ़ाने या कुछ काम करने के लिए ?
ये है पूरा मामला
हाईकोर्ट की युगलपीठ ने हायर सेकंडरी प्राचार्य के पद पर पदोन्नत किए जाने के मामले में डीपीआई केके द्विवेदी को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि कभी अपने दायित्व के बारे में सोचा है कि आपको डायरेक्टर क्यों बनाया गया है, सिर्फ कुर्सी की शोभा बढ़ाने के लिए या काम करने के लिए। एक व्यक्ति इतने वर्षों से अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है, कुछ संवेदनाएं हैं आप लोगों की या सब मर चुकी हैं। साथ ही अदालत ने 10 दिन में याचिकाकर्ता को पदोन्नति का लाभ देने का आदेश दिया है।
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अधिवक्ता आरबीएस तोमर ने बताया कि रामदास शर्मा मुरैना में लेक्चरर के पद पर थे, उन्हें 2007 में हाईस्कूल प्राचार्य के रूप में प्रमोशन दिया जाना था, लेकिन उनके ऊपर एक जांच लंबित थी, इसलिए पदोन्नत नहीं किया गया। जब जांच पूरी हुई तो उन्होंने अपनी पदोन्नति के लिए याचिका लगाई।
हालांकि बाद में उन्हें हाईस्कूल प्राचार्य बनाया गया, लेकिन इस बीच 2008 में हाईस्कूल प्राचार्य से हायर सेकंडरी प्राचार्य के लिए पदोन्नति हो गई। अपीलकर्ता भी उस पदोन्नति का हकदार था, लेकिन उसे वह पदोन्नति नहीं मिली। इसे लेकर अपीलकर्ता ने याचिका दायर की थी।
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