एकलव्य की कथा सभी जानते हैं. किस तरह गुरु नहीं होने से एकलव्य ने गुरु द्रोणाचार्य की मूर्ति बनाकर, उसे सामने रखकर तीरंदाजी का अभ्यास करता है. कुछ इसी तरह छत्तीसगढ़ में भी कुछ साल पहले तक एकलव्य जैसी प्रतिभाओं को निखारने के लिए अकादमी नहीं थी. ना इंस्टीट्यूट थे और ना ही द्रोण जैसे गुरु थे.लेकिन अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने खेलों की आधारभूत संरचना तैयार करने की पहल शुरू की है. जिससे एकलव्य जैसे हजारों प्रतिभाशाली युवाओं के लिए खेल की राह आसान हुई है. भारत के संदर्भ में देखें तो तीरंदाजी स्पर्धाओं में आदिवासी इलाकों से ही अधिक संख्या में प्रतिभाओं ने अंतरराष्ट्रीय मंच में भारत का नाम बढ़ाया है. अब जरुरत थी तो ऐसे हुनर को और आगे बढ़ाने की.
भूपेश सरकार ने तीरंदाजी के लिए खास तौर पर अधोसंरचना तैयार की है. राज्य स्तर पर हुई स्पर्धाओं में छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों के अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए इनकी प्रतिभा को नये सिरे से गढ़ने की व्यवस्था की गई. बिलासपुर के बहतराई में तीरंदाजी अकादमी की शुरुआत हुई. आवासीय अकादमी होने की वजह से दिन का ज्यादातर समय प्रैक्टिस में बीतता है और ये सेंटर ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ बन गया. खेलो इंडिया प्रतियोगिता में यहां के खिलाड़ियों ने कमाल किया। कुबेर जगत को स्वर्ण पदक मिला और गीता यादव ने रजत पदक जीता.
तीरंदाजी से जुड़े विशेषज्ञ बताते हैं कि तीरंदाजी के लिए एकाग्रता के साथ ही दृश्य संतुलन और शारीरिक संतुलन महत्वपूर्ण है. किस तरह से शारीरिक संतुलन रखकर बेहतर लक्ष्य पाया जा सकता है, इसके लिए कोचिंग का बड़ा सहयोग होता है. इसके साथ ही न्यूट्रीशन का भी बहुत महत्व होता है. रायपुर तीरंदाजी अकादमी में इसके लिए विशेष रूप से न्यूट्रिस्ट का पद सृजित किया गया है. इसके साथ ही शिवतराई उपकेंद्र में 54 खिलाड़ियों के लिए प्रशिक्षण की सुविधा है. रायपुर में गैर आवासीय तीरंदाजी अकादमी बनाई गई है. यहां 60 खिलाड़ियों के प्रशिक्षण की व्यवस्था है.
तीरंदाजी में प्रतिभाओं को निखारने के लिए राज्य शासन लगातार प्रयास कर रही है. मुख्यमंत्री ने जगदलपुर में शहीद गुंडाधुर तीरंदाजी अकादमी शुरू करने की घोषणा की. 40 सीटर ये अकादमी पूरी तरह आवासीय होगी. इसके माध्यम से 40 खिलाड़ियों को प्रशिक्षण मिल सकेगा. जशपुर में तीरंदाजी अकादमी 30 सीटर प्रस्तावित है. ये भी पूरी तरह आवासीय होगी.
- छतीसगढ़ की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें