कर्ण मिश्रा,ग्वालियर। मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में इकोग्रीन एनर्जी कर्मचारी संघ की हड़ताल एक बार फिर शुरू हो गई है. बीते महीने नगर निगम आयुक्त हर्ष सिंह ने कर्मचारियों की मांगों की जांच और उसकी अनुशंसा के लिए 6 सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया था. लेकिन उनकी मांगों के पूरा नहींं होने पर एक बार फिर सभी 485 कर्मचारी हड़ताल पर चले गए है. ऐसे में यह अनिश्चितकालीन हड़ताल शहर के स्वच्छता सर्वेक्षण के बीच परेशानी बन सकती है.

दरअसल ग्वालियर नगर निगम का एक और बड़ा फर्जीवाड़ा सामने निकाल कर आया है. जहां नगर निगम के बीते साढे तीन साल में इको ग्रीन कंपनी से निगम में आए 485 कर्मचारियों का पीएफ जमा नहीं किया. जिसको लेकर आज कर्मचारी लाम बंद हो गए हैं. कर्मचारियों ने आज से तीन दिवसीय हड़ताल कर दी है. जिसमें हर वर्ग के कर्मचारी शामिल है, जो इकोग्रीन कंपनी से निगम में आए थे. ईको ग्रीन कंपनी एक चीन की कंपनी है. जिसने शहर में सफाई व्यवस्था का ठेका लिया था. लेकिन वह सफाई व्यवस्था ठीक से नहीं कर पाई. ऐसे में कंपनी अपना सारा सामान छोड़कर भाग गई थी. जिसमें उसके सफाई के उपकरण समेत टीपर वाहन भी शामिल थे.

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ऐसे में जब कर्मचारियों ने हंगामा किया तो नगर निगम के पूर्व कमिश्नर संदीप माकीन और पूर्व कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने एक ग्रीन के कर्मचारियों को नगर निगम में मर्ज करने का आदेश दे दिया था. तब से यह कर्मचारी नगर निगम में कम कर रहे थे. लेकिन साल 2010 से आज तक इनका पीएफ उनके वेतन से तो काटा जा रहा था, लेकिन जमा नहीं किया जा रहा था. जिसको लेकर आज उन्होंने निगम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. हालांकि उनसे मिलने के लिए निगम के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे. उन्हें मनाने की भी कोशिश की, लेकिन कर्मचारियों का बीती 14 जून को भी वह जब हड़ताल पर गए थे. तब भी आश्वासन दिया गया था कि सात दिन में उनकी मांगे पूरी कर दी जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. इसलिए उन्होंने पहले 3 दिन उसके बाद अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है.

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हड़ताल के मुद्दे

1- इको ग्रीन कंपनी के 485 जो अब 19 अक्टूबर 2020 से नगर निगम में काम कर रहे हैं. उनके ईपीएफ के पैसे खाते में जमा किया जाए, 3 साल में यह जमा राशि लगभग दो करोड़ रुपए से ज्यादा रकम की है.

2- सभी कर्मचारियों को कलेक्टर दर पर निगम में रखा जाए, वर्तमान मासिक वेतन कुशल कर्मचारी को 9160 और अकुशल को लगभग 7260 दिया जा रहा है. जिससे इस महंगाई के समय में परिवार का भरण पोषण करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है.

3- साल 2007 में सीडीसी कॉरपोरेशन कंपनी के कर्मचारियों को निगम में सम्मिलित करके विनियमित कर दिया गया था, इको ग्रीन कंपनी के 485 कर्मचारियों को भी नियमित किया जाए.

गौरतलब है कि बीते 3 साल पहले जब कंपनी काम छोड़ कर गई थी. उस दौरान इन सफाई कर्मियों ने कचरा फैलाओ आंदोलन शुरू किया था. जिसके चलते शहर भर में गंदगी का अंबार लग गया था. एक बार फिर आंदोलन पर उतरे कर्मचारियों ने ऐलान किया है कि यदि उनकी मांगों का लिखित आश्वासन उन्हें नहीं मिला, तो वह आने वाले दिन में सड़कों पर उतर कर एक बार फिर आंदोलन करेंगे. इको ग्रीन कंपनी के 485 कर्मचारियों के हड़ताल में जाने के चलते ग्वालियर शहर की 3 विधानसभा में सबसे ज्यादा प्रभावित हुई हैं. जिसके चलते डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के साथ अन्य सभी काम पूरी तरह से बदहाल होने लगे हैं.

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