आकिब खान, दमोह। अमूनन दरगाहों पर अजान और नमाज के स्वर गूंजते है, लेकिन दमोह (Damoh) के हटा (Hatta) में स्थित नीम वाले बाबा की दरगाह पर गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) के अवसर पर शंख और घंटा के स्वर गूंजे। बाबा की वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ आरती उतारकर कौमी एकता की अनूठी मिसाल पेश की गई।

हटा के हजारी वार्ड स्थित हजरत नीम वाले बाबा साहेब की दरगाह पर प्रतिवर्ष गुरु पूर्णिमा का पर्व हिंदू और मुस्लिम समाज एक साथ मिलकर मनाते है। बाबा को गुरु मानकर और उनकी ताजपोशी की जाती है। मजार में मंगल कलश और रंगोली सजाकर पूरे हिंदू रीति परम्परा के अनुसार बाबा की वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ महा आरती की जाती है। शंख और घंटा के स्वरों के बीच हिंदू और मुसलमान समाज के लोग आरती में सम्मलित होते है।

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बाबा के जयकारों के साथ ही नमाज भी अदा की जाती है। नीम वाले बाबा के अटूट भक्तों में मन्नू लाल सेन शहजाद हुसैन ने बताया कि हम बाबा को अपना गुरु ही मानते है। इसलिए प्रतिवर्ष की तरह इस साल भी हमने गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया। बाबा की गुरु की तरह आरती पूजा वंदना की और उनसे आशीर्वाद ग्रहण कर सारे देश मे अमन चैन, भाईचारा बनाऐ रखने की कामना की।

प्रदेश भर से गुरु पूर्णिमा पर्व मनाने दरगाह आते है भक्त

गुरु पूर्णिमा के पर्व पर देश और प्रदेश भर में फैले बाबा के भक्त यहां प्रतिवर्ष आते है। पूरी सिद्दत के साथ बाबा की दरगाह पर पहुंचकर भक्त गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाते है और गुरु की तरह बाबा का आरती पूजन करते है। यहां पहुंचने वाले बाबा के भक्तों ने बताया की नीम वाले बाबा की दरगह पूरे देश मे हिंदू मुस्लिम एकता की अनूठी मिसाल है। जहां पर सभी धर्म संप्रदाय के लोग आस्था के साथ पहुंचते है। जिनकी सभी मुरादे बाबा पूरी करते है। इसके साथ ही साल मे पड़ने वाले हिन्दू और मुस्लिम के सभी पर्वों को उत्साह और भाई चारे के साथ मनाया जाता है। इसी उल्लास और आस्था के साथ बाबा की दरगाह पर गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया गया।

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