रायपुर. जुलाई 2018 में संविदा कर्मचारी अपने नियमितिकरण के लिए संघर्षरत थे. उस दौरान कांग्रेस के बड़े नेता हड़ताली मंच में जाकर कांग्रेस की सरकार बनने पर 10 दिनों के भीतर नियमित करने का वादा किया था और इनकी मांगों को 2018 के कांग्रेस जन घोषणा पत्र में शामिल किया था. इन वादों के 5 साल बीत गए हैं, लेकिन सरकार की संविदा कर्मचारियों को लेकर मंशा स्पष्ट नहीं दिखाई देती. यह प्रश्न संविदा कर्मचारियों ने दूसरे दिन हड़ताली मंच पर उठाया है.

महासंघ के प्रांताध्यक्ष कौशलेश तिवारी ने बताया कि, सरकार ने हम संविदा कर्मचारियों से साढ़े चार साल में सरकार की तरफ से संवादहीनता की स्थिति है. रथयात्रा में 33 कलेक्टर को ज्ञापन और कई कांग्रेस विधायकों और जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन देने के बाद भी संवाद कायम नहीं किया गया. यह लोकतंत्र में चिंताजनक और दुखद है. सरकार अपने वादे अनुरूप हमें नियमितिकरण पर स्पष्ट रूप से मंशा जाहिर करे.

रायपुर जिला अध्यक्ष शेख मुस्तकीम ने बताया कि, रायपुर तूता मैदान की संविदा कर्मचारी की भीड़ देख सरकार को अपनी मंशा स्पष्ट करने की जरूरत है. वरना यह आंदोलन दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जाएगा.

महासंघ के प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सिन्हा और अशोक कुर्रे ने बताया कि, कांग्रेस के कई बड़े नेता के अलावा सरकार के मुखिया के नाते मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विधानसभा में या अन्य मीडिया माध्यमों में नियमितीकरण की अपनी बात तो कहते हैं, लेकिन आज तक इस पर किसी भी प्रकार का ठोस अमल नहीं किया गया. यह रथयात्रा के माध्यम से रायपुर तूता में एकत्रित संविदाकर्मी की भीड़ 2024 के चुनाव में छत्तीसगढ़ में किस पार्टी की सरकार बनेगी यह तय करेगी. इस सरकार को सचेत होना चाहिए .

महासंघ के प्रांतीय प्रवक्ता और मीडिया प्रभारी सूरज सिंह ठाकुर ने कहा कि, सरकार को हम स्पष्ट रूप से यह कहना चाहते हैं कि सरकार अपने उत्तरदायित्व से मुकर रही है. अभी भी समय है अपने अंतिम बजट अनुपूरक बजट में सरकार हम संविदा कर्मचारियों से किया हुआ वादा पूरा करें.

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