महाराष्ट्र में सियासी संग्राम थमने का नाम नहीं ले रहा है. पावर में आने के लिए पवार VS पवार की लड़ाई जारी है. इस लड़ाई में अब तक अजित पवार ही भारी पड़ते नजर आए हैं. अजित पवार ने एनसीपी को एक और तगड़ा झटका दिया है. झटका कुछ ऐसा है कि, उन्होंने अपने चाचा शरद पवार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया है. खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए हैं. जिसके बाद सियासी पारा गरमा गया है.

दरअसल, अजित पवार की ओर से प्रेस नोट जारी कर कहा गया कि, 30 जून 2023 को एनसीपी के विधायी और संगठनात्मक विंग के सदस्यों के बहुमत की ओर से हस्ताक्षरित प्रस्ताव पारित किया गया, जिससे अजित पवार को एनसीपी के अध्यक्ष के रूप में चुना गया. प्रफुल्ल पटेल एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्षों में से एक थे और अब भी हैं. अजित पवार को एनसीपी ने महाराष्ट्र विधानसभा में विधायक दल के नेता के रूप में नियुक्त करने का भी निर्णय लिया और उक्त निर्णय को एनसीपी विधायकों के भारी बहुमत की ओर से पारित प्रस्ताव द्वारा अनुमोदित भी किया गया.

निशान की लड़ाई में चाचा-भतीजा आमने-सामने

NCP के नाम व निशान पर दावे को लेकर अजित और शरद पवार दोनों गुट चुनाव आयोग पहुंच गए हैं. पहले शरद पवार गुट ने अर्जी लगाई थी. इसमें कहा गया कि कोई भी एनसीपी पर अपने आधिपत्य का दावा आयोग के सामने करे तो आयोग शरद पवार पक्ष को भी जरूर सुने.

इसके कुछ घंटों बाद अजित पवार गुट ने चालीस से अधिक विधायकों के शपथ पत्र के साथ पार्टी पर दावा ठोका. अजित पवार गुट ने चालीस से ज्यादा विधायकों, सांसदों और MLC के हलफनामे के साथ पार्टी पर अपना दावा किया है. हालांकि, आज उनकी मीटिंग में 31 ही विधायक पहुंचे थे.

वहीं शरद पवार गुट ने आयोग से गुहार लगाई कि, कोई भी अगर एनसीपी पर अपने अधिकार और नाम निशान पर दावा करे तो आयोग उनकी दलीलें भी सुने. पवार गुट ने पार्टी में बगावत कर दल बदल करने वाले अपने विधायकों की जानकारी भी आयोग को दी. आयोग को ये भी बताया गया है कि सत्ताधारी गठबंधन में मंत्री के तौर पर शपथ लेने वाले बागी विधायकों को पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया है.

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