सुदीप उपाध्याय, बलरामपुर। जिले में बीते 4 जुलाई से स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ संविदा और नियमित कर्मचारी अपनी 24 सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे हैं. जिसका सीधा असर चिकित्सीय सेवाओं में देखने को मिल रहा है. मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है. फिलहाल नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टरों की मदद से इमरजेंसी सेवाएं चालू रखी गई है.
बता दें कि चुनावी वर्ष में कर्मचारी वर्ग अपनी अलग-अलग मांगों को सरकार से मनवाने के लिए हड़ताल और धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. जिसका सीधा असर आम जनता के बीच में पड़ता है. छत्तीसगढ़ में साल के आखिरी में विधानसभा चुनाव होना है, जिससे ठीक पहले स्वास्थ्य कर्मचारी अपनी 24 सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई है. अस्पतालों में गेट पर हड़ताल का सूचना बोर्ड लगाकर असुविधा के लिए खेद लिख दिया गया है और अस्पतालों में ताले लटक रहे हैं. जिससे अब मरीजों को इलाज के जिला अस्पताल ही जाना पड़ रहा है.
जहां पर सिर्फ इमरजेंसी सेवाएं चालू रखी गई है. मरीज अस्पताल इलाज के लिए आ रहे है लेकिन गेटों में ताले और नोटिस बोर्ड को देखकर वापस लौट जा रहे है.
वहीं हड़ताल पर बैठे स्वास्थ्य कर्मचारियों का कहना है कि सरकार जब तक उनकी मांगों को नहीं मानती है तब तक वे अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रखेंगे. हड़ताल से जिले की स्वास्थ्य सेवाओं पर सीधा असर पड़ रहा है. इस बात को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया है. लेकिन मरीजों को नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टरों की मदद से इमरजेंसी सेवाएं दी जा रही है.
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