केंद्र सरकार लंबे समय से डेटा प्रोटेक्शन बिल पर काम कर रही है. कई साल तक चर्चा के बाद आखिरकार भारत सरकार ने अपना डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल पेश कर दिया है. इस बिल को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है. Digital Personal Data Protection Bill, 2022 को अब संसद में मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा. ये बिल हमारे आपके डेटा को सुरक्षित रखने में मदद करेगा. पिछले कुछ सालों में डिजिटल वर्ल्ड में तेजी से बदलाव हो रहा है. सोशल मीडिया कंपनियां समेत दूसरे प्लेटफॉर्म्स यूजर्स के तमाम डेटा को इकट्ठा करते हैं. इस डेटा का गलत इस्तेमाल ना हो, इसलिए इस बिल को पेश किया जा रहा है.

संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू होगा और 11 अगस्त तक चलेगा. डीपीडीपी विधेयक पर काम पिछले साल 27 अगस्त को उच्चतम न्यायालय के उस आदेश के बाद शुरू हो गया था, जिसमें ‘निजता के अधिकार को मूलभूत अधिकार’ बताया गया है. सरकार ने व्यक्तिगत सूचना विधेयक को अगस्त, 2022 में वापस ले लिया था. इसे सबसे पहले 2019 के अंत में पेश किया गया था. इसके नए संस्करण के मसौदे को नवंबर, 2022 में जारी किया गया.

क्या है डेटा प्रोटेक्शन बिल?

देश में डिजिटल क्रांति के बीच सरकार के ऊपर देश के नागरिकों के डेटा सुरक्षित रखने को लेकर प्रेशर बढ़ रहा था. ऐसे में देश की कई पॉलिसी संस्थाओं ने सरकार से लगातार अपील की थी कि वह डेटा संरक्षण के लिए एक ऐसे कानून का निर्माण करे जो देश के नागरिकों के डेटा को प्रोटेक्ट करने का काम करे. ऐसे में यह डेटा प्रोटेक्शन बिल नागरिकों (डिजिटल नागरिक) के अधिकारों और कर्तव्यों को निर्धारित करने का काम करेगा और दूसरी ओर डेटा फ्रॉड को नियंत्रित और जरूरत पड़ने पर सुरक्षित करने का भी काम करेगा.

फर्जी रजिस्ट्रेशन पर लगेगा ब्रेक

आधार और पैन कार्ड का इस्तेमाल करके फर्जी रजिस्ट्रेशन बहुत बड़ी समस्या है. इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक GST अधिकारियों ने पूरे भारत में ऐसी 12,000 फर्जी संस्थाओं को ट्रैक किया, जिससे सरकारी खजाने को अनुमानित तौर पर 30,000 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व नुकसान हुआ है. फिलहाल, PAN के दुरुपयोग पर 10,000 रुपये का जुर्माना या छह महीने की कैद हो सकती है. लेकिन डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल के ड्राफ्ट में जुर्माने की रकम को बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये तक कर दिया गया है. इसका मतलब है कि डेटा का गलत इस्तेमाल करने पर 500 करोड़ रुपए तक की पेनल्टी लगाई जा सकती है.

पर्सनल डिटेल्स की सेफ़्टी

बिल के ड्राफ्ट के मुताबिक नए कानून में ग्लोबल डेटा फ्लो को अनुमति दी जाएगी. इसके नियम कायदे आसान बनाए जाएंगे. सरकार एक निगेटिव लिस्ट भी तैयार करेगी, जिसमें शामिल देशों के साथ भारतीयों का डेटा शेयर करने पर मनाही रहेगी. डेटा स्टोरेज के लिए सर्वर, देश में या मित्र देशों में ही बनाए जा सकेंगे. बिना आपकी मर्जी के आपका डेटा इस्तेमाल नहीं हो सकता. बिल में डेटा के इस्तेमाल को लेकर कंपनियों के लिए नियम और कड़े कानून तैयार किए जाएंगे.

डिलीट मतलब डिलीट

नए बिल के अनुसार कोई यूजर अगर अपना सोशल मीडिया अकाउंट डिलीट करता है तो कंपनी को भी उसके डेटा को डिलीट करना होगा. कहने का मतलब कंपनी यूजर डेटा को तब तक ही सेव रख सकती है जब तक वो एक्टिव है. अकाउंट डिलीट मतलब सर्वर से डेटा भी डिलीट. इसके साथ ही यूजर्स को अपने पर्सनल डेटा में सुधार करने का अधिकार भी होगा. माने कि अब आप किसी ऐप या वेबसाइट पर अपना डेटा अपडेट करते हैं तो ऐप के सर्वर पर भी वो अपडेट होना चाहिए.