शरद पाठक, छिंदवाड़ा। कानून के रखवाले जब अपना स्वयं का बोझ उठाने में असमर्थ हो जाए तो कानून व्यवस्था का फिर भगवान ही मालिक हो सकता है। कभी-कभी ऐसे दृश्य देखने में आते हैं जब पुलिसकर्मी नशे में धुत होकर अपने ही विभाग की प्रतिष्ठा पर धब्बा बन जाते हैं। ऐसा ही नजारा आज छिंदवाड़ा के स्टेशन क्षेत्र की शराब भट्टी के पास देखने में मिला।
यहां एक वर्दीधारी प्रधान आरक्षक नशे में धुत होकर गंदगी में लोट रहा था। नशे के कारण उसके कदम अपने ही शरीर का बोझ नहीं उठा पा रहे थे। आसपास मौजूद लोगों ने किसी तरह से उसे सहारा देकर साफ-सुथरे स्थान तक पहुंचाया। पुलिस विभाग को शर्मसार करने वाली इस घटना ने प्रदेश की पुलिस व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। जब पुलिसकर्मी अपने ही शरीर का बोझ उठाने में असमर्थ हो जाएगा तो उससे कानून व्यवस्था का बोझ उठाने की उम्मीद कैसे की जा सकती है।
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पुलिसकर्मी की वर्दी में उसका नाम और नंबर ना होने से अभी तक यह पता नहीं लग पाया है कि यह प्रधान आरक्षक किस जगह पर तैनात है और इसका नाम क्या है। पुलिसकर्मी इतनी बुरी तरह नशे में धुत है कि वह कुछ बताने की स्थिति में ही नहीं है। अपुष्ट जानकारी के अनुसार यह प्रधान आरक्षक पुलिस लाइन में पदस्थ है और इसका उपनाम मर्सकोले है परंतु अभी तक कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिली है।
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