भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) 51 साल के हो गए हैं. आज वो अपना 51 वां जन्मदिन मना रहे हैं. भारतीय क्रिकेट में उनका शुरुआती सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा. लेकिन जब 1996 में लॉर्ड्स में टेस्ट डेब्यू में उन्होंने शतक जमाया तो फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

बता दें कि इस बेमिसाल आगाज के बाद गांगुली (Sourav Ganguly) भारतीय टीम में लगातार अपने पांव जमाते चले गए और बाद में वह टीम इंडिया के कप्तान भी बने. इस बीच उनके खेल का लोहा ऐसा बढ़ रहा था कि उन्हें उनके साथी क्रिकेटर राहुल द्रविड़ ने ऑफ साइड के भगवान तक की संज्ञा दे दी. Read More – इस दिन रिलीज होगा फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ का ट्रेलर, Alia Bhat ने शेयर किया डेट …

इसकी वजह गांगुली (Sourav Ganguly) का ऑफ साइड पर वह मजबूत खेल था, जहां कितने भी फील्डर तैनात हों लेकिन इसके बावजूद गैप ढूंढने में गांगुली का कोई सानी नहीं था. यूं तो भारतीय क्रिकेट में गांगुली ने कई उपनाम कमाए लेकिन ऑफ साइड का भगवान भी उनका विशेष नाम था.

भारतीय क्रिकेट में गांगुली के अन्य उपनामों की बात करें तो उन्हें दादा, प्रिंस ऑफ कैलकटा (कोलकाता), महाराज और रॉयल बंगाल टाइगर या बंगाल टाइगर के नाम से भी जाना जाता है. गांगुली को ऑफ साइड के भगवान कहने की असली कहानी क्या है. दरअसल गांगुली के दोस्त राहुल द्रविड़ उनकी ऑफ साइड पर पकड़ देखकर ऐसा फिदा हुए कि उन्होंने कहा, ‘ऑफ साइड पर या तो भगवान है, और फिर दादा (सौरव गांगुली).’

फैन्स को ऑफ साइड पर गांगुली (Sourav Ganguly) के ड्राइव और कट देखने में अलग ही मजा आता था. उनके कवर्स ड्राइव, स्ट्रेट ड्राइट स्केयर कट और स्केयर ड्राइव को देखकर फैन्स की अलग ही दीवानगी दिखती थी. Read More – Mansoon Special Recipes : बरसात के इस मौसम में शाम को करे कुछ क्रंची खाने का मन, तो घर पर Try करें ये डिश …

इसके बाद से गांगुली (Sourav Ganguly) के लिए यह पहचान बन गई कि वह ऑफ साइड के भगवान हैं. बता दें द्रविड़ और गांगुली एक साथ खूब क्रिकेट खेले हैं. वह घरेलू क्रिकेट में भी ईस्ट जोन और भारत अंडर-19 के लिए एक टीम में साथ खेला करते थे और इसके बाद जब दोनों टीम इंडिया में आए तो भी एक साथ खेले. इस दौरान द्रविड़ गांगुली के ऑफ साइड के शॉट्स की महारत देखकर हमेशा प्रभावित रहे.

बता दें गांगुली और राहुल द्रविड़ ने एक साथ एक ही मैच 1996 लॉर्ड्स टेस्ट से अपना डेब्यू किया था और दोनों खिलाड़ियों ने इस मैच के बाद भारतीय क्रिकेट में अपनी पहचान बना ली. बाद में दोनों ने बारी-बारी भारतीय टीम की कप्तानी भी की और दोनों ही खिलाड़ी एक-दूसरे की कप्तानी में भी खूब खेले.

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