पी. रंजनदास, बीजापुर. मैं खुद को विधायक नहीं बल्कि एक जनसेवक ही मानता हूं और मन को तसल्ली तब मिलती है, जब लोग मेरे काम से संतुष्ट होते हैं. यह कहना है 1998 से अपना राजनीतिक सफर शुरू करने वाले बीजापुर के विधायक एवं बस्तर प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विक्रम शाह मंडावी का. लल्लूराम से खास चर्चा मंे विधायक विक्रम ने उन पहलुओं पर चर्चा की, जिनसे उनका नाता सीधे व्यक्तिगत है.
चर्चा में मंडावी ने कहा, माओवाद समस्या से जूझ रहे बस्तर में जनप्रतिनिधियों के लिए अपना दायित्व पूरा करना किसी तलवार की धार पर चलने जैसा ही है. यहां नेता लोकतंत्र की मुखालफत करने वाले माओवादियों के निशाने पर होते हैं. वो चाहे किसी भी राजनीतिक दल के क्यों ना हो. प्रदेश के सघन माओवाद प्रभावित विधानसभाओं में बीजापुर भी शुमार है. इंद्रावती राष्टीय उद्यान समेत सघन वनाच्छादित और आदिवासी बहुल बीजापुर विधानसभा मंे चप्पे चप्पे पर माओवाद का साया मंडराता है. माओवादी दहशत के बीच एक विधायक के लिए क्षेत्र में सक्रिय रहना बेहद दुर्गम कार्य है, बावजूद क्षेत्र के विकास के लिए विधायक भैरमगढ़ से लेकर भोपालपटनम तक निरंतर सक्रिय रहते हैं.
लल्लूराम से खास चर्चा में विधायक मंडावी ने कहा, दिल्ली-रायपुर के दौर को छोड़कर अपने विधानसभा में उन्हें प्रतिदिन लगभग 100 से 150 किमी का सफर करना पड़ता है. क्षेत्र के दौरे के मद्देनजर उन्हंे इतनी दूरी तय करनी पड़ती है. एक बार जो घर से निकल गए तो वापसी में रात हो जाती है. जनता से उनकी समस्याएं जानने, समाधान निकालने के अलावा प्रशासनिक अधिकारियों से बैठक, पार्टी कार्यकर्ताओं से रूबरू होने में पूरा दिन ही खप जाता है.
विधायक मंडावी ने बताया, उनके शेडयूल में वीकेंड जैसा कॉलम ही शामिल नहीं है. बमुश्किल वो परिवार को समय दे पाते हैं. दिन के वक्त घर का खाना बमुश्किल नसीब होता है. कभी बीजापुर के बंगले मे तो कभी जिस क्षेत्र के दौरे पर रहते वहीं भोजन कर लेते हैं. इस बीच कई दफा अलग-अलग विकासखंडों में दौरा करते देर हो जाए तो विश्राम गृह में ही रात बीतानी पड़ती है. एक विधायक के नाते पूरे दिन की व्यस्तता के बीच परिवार से फोन पर बात भी दूभर होती है. घर से फोन आये तो चंद मिनट ही बात हो पाती है.
चर्चा में हंसते हुए विधायक यह भी कहते हैं कि उनकी व्यस्तता को देख उनके बच्चे भी उन्हें राजनीति छोड़ घर पर साथ समय बीताने की बात कहते हैं. यह सुनते उनके चेहरे पर मुस्कान भी आ जाती है. विधायक मंडावी की मानें तो बीजापुर जैसे वृहद क्षेत्रफल वाले विधानसभा में काम करना चुनौतीपूर्ण है, लेकिन जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरना भी उनकी जिम्मेदारी है. लिहाजा वो काम को बोझ नहीं बल्कि नैतिक जिम्मेदारी समझ क्षेत्र के विकास के लिए सतत सक्रिय रहते हैं. नतीजा कि जब कोई उनके पास आकर कहता है कि मेरा काम हो गया, मन को तब जाकर तसल्ली और सुकून मिलता है.
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