नेहा केशरवानी, रायपुर. उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने जीएसटी कंपनसेशन की राशि को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि ठीक GST काउंसिल की बैठक के पहले राशि रिलीज की जाती है. महीनों तक राशि रिलीज नहीं होती है. हाल ही में 7500 करोड़ रुपये ड्यू था जो केंद्र सरकार से कंपनसेशन के रूप में मिलना था, 5 सालों के दरमियान की राशि लंबित थी. वो भी पूरी तरह से नहीं मिली है. वित्त आयोग के माध्यम से जो राशि मिलनी है, करीब 330 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष मिलनी है. केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से कहा था कि आप पहले साल का आधा भी खर्च कर दीजिए तो हम शेष राशि और पहले साल की आधी राशि भी दे देंगे. आज हम टेंडर करने जा रहे हैं, लेकिन राशि के अभाव में हमें टेंडर रोकना पड़ रहा है. वर्तमान चलन में 600 से 700 करोड़ की राशि यदि मिल जाए तो जनहित के कई रुके हुए काम हो सकते हैं.

स्वास्थ्य विभाग के प्रदर्शनकारी कर्मचारीयों को लेकर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के प्रदर्शनकारी कर्मचारियों को काम में वापस जाने की अपील की गई है. मैं हांथ जोड़कर बोल रहा हूं हड़ताल खत्म कर काम पर आ जाएं. विभाग का कामकाज ठप हो रहा है. स्वास्थ्य कर्मचारियों की मांगे जायज नहीं है. 12 महीने में काम कर तेरह महीने का वेतन मांगा जाए तो ये कैसे जायज है ? एक सीमा है उसके अंदर सरकार कार्य कर रही है. सरकार सभी विभाग के कर्मचारियों के हित में कार्य कर रही है. कर्मचारियों के DA-HRA नहीं देने के आरोप पर उन्होंने कहा कि ये वित्त विभाग का मामला है. सरकार के ध्यान में मामला लाएंगे तो जरूर पहल की जाएगी.

आरक्षण विवाद पर बोले सिंहदेव

बस्तर से सरगुजा के बीच प्रतिबंध के बावजूद रेत उत्खनन बढ़ने के मामले पर सिंहदेव ने कहा कि कोरिया की बात मेरी जानकारी में आई थी. एक फोन कवर्धा से भी आया था. जिला प्रशासन को कड़ाई से पालन करना चाहिए. आरक्षण विवाद पर सिंहदेव ने कहा कि वर्तमान राज्यपाल महोदय को मैंने अपनी ओर से राय दी थी. या तो उन्हें बिल रिजेक्ट कर देना चाहिए था, या सदन को बिल वापस कर देते. सदन इस पर चर्चा करता और फिर भेजता. राज्यपाल को इसे मंजूर करने की बाध्यता होती.
मंजूर होने के बाद कोई उसे चुनौती देता तो कोर्ट का मामला होता. लेकिन राज्यपाल जी के पास ये जो रुका हुआ है यह पूरी तरह से अव्यवहारिक है. इन्ही कारणों से मामला अटका हुआ है.