आमों के राजा कहे जाने वाले दशहरी के बारे में तो बहुत कुछ जानते होंगे. लेकिन आम की रानी कौन है क्या? आप जानते हैं. अफगानिस्तानी मूल के इस आम की खेती केवल मध्य प्रदेश के एक जिले और इस क्षेत्र से सटे हुए गुजरात के कुछ ही जगह पर होती है. एक पका हुआ आम इतना बड़ा होता है कि दिखने में पपीते जैसा नजर आता है. चिंता की बात यह है कि अलीराजपुर जिले में इस आम के सिर्फ 8 पेड़ बचे हैं. कुछ दशक पहले आम की इस किस्म के एक फल का वजन 4.5 किलोग्राम तक होता था, लेकिन अब यह घटकर 3.5 किलोग्राम रह गया है.
इस बेहद खास आम को नूरजहां आम (noorjahan mango) के नाम से जाना जाता है. इस आम के अनोखे स्वाद और अकार के कारण इसे आमों की मलिका या रानी भी कहा जाता है. इस आम का नाम मुगल रानी ‘नूरजहां’ के नाम पर रखा गया है.
नूरजहां को मिल रहा सरकारी संरक्षण
देश में इस आम की किस्म मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के कट्ठीवाड़ा में बस पाया जाता है. चूंकि यह किस्म धीरे-धीरे विलुप्त होते जा रही है, इसलिए इसे सरकार खास संरक्षण देकर बचा रही है. इस पेड़ को पहले गुजरात में लगाया गया था जिसके बाद इस आम के एक पेड़ को मध्यप्रदेश में लगाया गया था. इस आम के पेड़ में जनवरी और फरवरी महीने में फूल लग जाते हैं और जून से जुलाई तक बाजार में बिक्री के लिए तैयार हो जाते हैं.
किंग ऑफ मेंगों अवार्ड मिला
इस पेड़ के स्वाद और मिठास के कारण इसकी डिमांड मार्केट में बहुत ज्यादा है. इस पेड़ की खास बात यह है कि यह मध्य प्रदेशके वातावरण में ही अच्छे से फलता-फुलता और बढ़ता है, इसलिए बहुत कोशिशों के बाद भी इसे दूसरी जगहों पर नहीं लगाया जा सका है. नूरजहां आम इतना खास है कि इसे साल 1999 और 2010 में नेशनल अवॉर्ड और किंग ऑफ मेंगों अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है.
जून माह में पकना होता है शुरू
खास होने के कारण इस आम की कीमत भी खास है. आम लोगों के बजट के बाहर इस आम के एक फल की औसतन कीमत 1000 से 1200 रुपये तक हो सकती है. गुजरात से सटे कट्ठीवाड़ा के क्षेत्र में मिलने वाले इस आम की डिमांड देश विदेश कई लोग करते हैं. यह आम 15 जून के बाद पकना शुरू होता है और पकने के बाद यह जल्दी खराब हो जाता है. इसलिए इसका उपयोग जल्दी करना पड़ता है.
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