रायपुर. छत्तीसगढ़ में अब तक राम कथा, शिव कथा, हनुमान जी की कथा होती आई है. अब तीर्थंकर महावीर स्वामी की कथा भी होने जा रही है. चातुर्मास के महीने में राष्ट्रीय संत उपाध्याय प्रवर ऋषि जी महाराज रायपुर पधारे हुए हैं. जिनके मुखारविंद से महावीर स्वामी की कथा रायपुर के टैगोर नगर में कही जाएगी. महराज जी ने आज प्रेस वार्ता लेकर यह जानकारी साझा की. प्रवर ऋषि महराज लोगों में जागरूकता लाने कई ट्रेनिंग प्रोग्राम भी चला रहे हैं. आनन्द चातुर्मास समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम के तहत ध्यान शिविर, गर्भसाधना शिविर, ब्लिसफुल कपल शिविर, मृत्युंजय शिविर, योग शिविर आयोजित होंगे.

अर्हम का अर्थ

उपाध्याय प्रवर ऋषि जी महराज ने अर्हम का अर्थ बताते हुए कहा कि हर व्यक्ति के अंदर जो श्रेष्ठ होता है उसको अर्हम कहते हैं. अर्हम विद्या का मतलब उस अंदर की श्रेष्ठता को उजागर करने का जो ज्ञान है कला है उसको विद्या कहते हैं, यह पूरी प्रक्रिया एक बार की है, व्यक्ति के अंदर की श्रेष्ठता को कैसे उजागर किया जा सकता है. हर कोई फर्स्ट होना चाहता है, कोई व्यक्ति दो नंबर पर रहना नहीं चाहता, कोई फेल नहीं होना चाहता, हर व्यक्ति की तमन्ना होती है शिखर पर पहुंचने की, आपके अंदर गौरी शंकर कैलाश है उस पर पहुंचना ही चाहिए मनुष्य जन्म इसलिए ही है.

साधु संत पर विश्वास को लेकर उन्होंने कहा कि रावण ने भी संत का रूप लिया था, इसलिए सीता लक्ष्मण रेखा के बाहर आईं, यह जब पहचाना नहीं जाता है तो राम की सीता का भी अपहरण हो जाता है. संत के बारे में देखना चाहिए रावण है या संत है.

त्याग की परिभाषा

जैन धर्म का सबसे बड़ा गुरु त्याग का है, वह कहीं पर भी हो अधिकार नहीं रखता, ना शरीर पर, ना ही अंतिम समय भी शरीर का त्याग करते हैं, किसी वस्तु से भी बड़ा त्याग है किसी के प्रति दुर्भावना का त्याग करना.