नई दिल्ली . दिल्ली में अराजक तत्वों पर नकेल कसने के लिए नया कानून लाने की तैयारी है. उपराज्यपाल बीके सक्सेना ने गुजरात प्रिवेंशन ऑफ एंटी सोशल एक्टिविटीज एक्ट 1985 को राष्ट्रीय राजधानी में लागू करने का प्रस्ताव पास कर मंजूरी के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा है. इसके तहत पुलिस संदिग्ध अपराधियों को एहतियातन हिरासत में ले सकेगी.

कानून विभाग ने जांचा दिल्ली के गृह विभाग ने बीती 27 जून को गुजरात के इस कानून को लागू करने के लिए केंद्र शासित प्रदेश (कानून) अधिनियम की धारा-2 के तहत अधिसूचना जारी करने का प्रस्ताव उपराज्यपाल (एलजी) की मंजूरी के लिए भेजा था. केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजे गए इस कानून के ड्राफ्ट नोटिफिकेशन को दिल्ली सरकार के कानून विभाग ने जांच लिया है.

गुजरात का कानून तेलंगाना से बेहतर इसे गृह मंत्रालय को भेजने से पहले तेलंगाना में लागू इसी तरह के कानून ‘द तेलंगाना प्रिवेंशन ऑफ डेंजरस एक्टिविटिज ऑफ बूट लेगर्स, प्रोपर्टी ऑफेंडर्स…आदि एक्ट 1986’ पर भी विचार किया गया है. लेकिन, इनमें गुजरात के कानून को ज्यादा बेहतर और उपयुक्त पाया गया. इस विमर्श को मानते हुए कि उपराज्यपाल ने भी इस पर अपनी सहमति दे दी है. उन्होंने इसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में विस्तारित करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास भेज दिया है. मंजूरी मिलते ही यह कानून लागू होगा.

दिल्ली पुलिस ने बताई थी जरूरत दिल्ली पुलिस ने 14 फरवरी, 2023 को अपने पत्र में गुजरात अधिनियम के प्रावधानों की जांच का अनुरोध किया था. दिल्ली पुलिस ने तेलंगाना और गुजरात के कानूनों की जांच के बाद इस पर निर्णय लिए जाने की मांग की थी. इसके बाद दिल्ली के गृह विभाग ने प्रस्ताव को उपराज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा था.

इस कानून से पहले दिल्ली में महाराष्ट्र सरकार द्वारा 1999 में बनाया गया मकोका (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट) कानून लागू किया जा चुका है.

24 घंटे की बजाय सात दिन हिरासत में रखा जा सकेगा

इस अधिनियम के तहत किसी भी संदिग्ध को सात दिन के लिए हिरासत में लिया जा सकेगा. सात दिन के भीतर पुलिस को यह बताना होगा कि उसे (हिरासत में लिए गए शख्स को) हिरासत में क्यों लिया गया. अभी किसी संदिग्ध को 24 घंटे से ज्यादा हिरासत में नहीं रखा जा सकता है. इस एक्ट को लागू करने के लिए राज्य सरकार जरूरत पड़ने पर सलाहकार बोर्ड बना सकती है. इसका अध्यक्ष हाईकोर्ट जस्टिस बनाए जा सकते हैं.

अपराधियों पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी

अगर यह कानून अधिसूचित हो जाता है तो पुलिस को अपराधियों से निपटने के लिए अधिक शक्ति मिल जाएगी. इस कानून के तहत सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए खतरनाक अपराधियों, अवैध शराब बेचने वालों, नशे के अपराधियों, मानव तस्करी के कानून तोड़ने वालों और संपत्ति हड़पने वाले अपराधियों को एहतियातन हिरासत में लिया जा सकेगा.