कुमार इंदर, जबलपुर। भगवान शिव के प्रिय माह श्रावण का आज पहला सोमवार है। मंदिरों में सुबह से ही पूजा-अर्चरना के लिए भक्तों का तांता लगा रहा। जबलपुर में प्रसिद्ध गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में भी श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। इस मंदिर के भगवान को रामेश्वरम महादेव का उपलिंग भी कहा जाता है। जनश्रुति है कि वनवास के दौरान भगवान श्री राम, लक्ष्मण और सीता के साथ मां नर्मदा के तट पर भी आए थे। इस बात का उल्लेख शिव महापुराण में भी हैं। बताया जाता है कि, जब भगवान श्रीराम को जाबालि ऋषि से मिलने की इच्छा हुई तो वे नर्मदा तट पर आए थे। इसी दौरान उन्होंने अपने आराध्य महादेव की पूजन वंदन भी किया था। जिसके लिए यहीं पर मां नर्मदा की रेत से शिवलिंग का निर्माण किया गया था। तब से इस शिवलिंग की पूजा अर्चना हो रही है।
गुप्तेश्वर महादेव मंदिर सन 1890 में अस्तित्व में आया था। गुप्तेश्वर पीठाधीश्वर स्वामी डा. मुकुंददास महाराज ने बताया कि, त्रेता युग में भगवान राम की उत्तर से दक्षिण तक की यात्रा काल का वर्णन पुराणों में किया गया है। कोटि रूद्र संहिता में प्रमाण है कि, रामेश्वरम के उपलिंग स्वरूप गुप्तेश्वर महादेव हैं। मत्स्य पुराण, नर्मदा पुराण, शिवपुराण, बाल्मिकी रामायण, रामचरित मानस व स्कंद पुराण में गुप्तेश्वर महादेव के प्रमाण मिलते हैं। उन्होंने बताया कि, भगवान श्रीराम न केवल वनवास के दौरान आए बल्कि वे लौटते वक्त भी यहां आए थे।
ज्योतिष गुरू और सामाजिक कार्यकर्ता संगीता शर्मा ने बताया कि, वो पिछले लंबे समय से गुप्तेश्वर भगवान के पूजन करने आ रही हैं। यहां सिर्फ जिले के ही नहीं बल्कि प्रदेश के अन्य स्थानों से भी श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। मान्यताओं की मानें तो भगवान राम ने यहीं नर्मदा तट पर एक महीने का गुप्तवास किया था। इस दौरान भगवान राम ने रेत से शिवलिंग बनाकर अपने प्रिय आराध्य की पूजा की थी जो अब गुप्तेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है।
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