सुरेन्द्र जैन, धरसींवा। सावन का महीने में जब चारों तरफ हरियाली नजर आती है, ऐसे समय में चंद लोग धरसींवा क्षेत्र में बढ़ते ओधोगिक प्रदूषण के बीच हरे-भरे पेड़ों की कटाई किए जा रहे हैं.

ताजा मामला खारुन नदी किनारे मुरेठी गांव का है, जहां भिमोरी मार्ग ओर खारुन नदी के बीच कई एकड़ जमीन में लगे हजारों हरे-भरे पेड़ों को काटकर मैदान बना दिया गया है. कुछ ग्रामीणों के मुताबिक, यह घांस जमीन है, जिस पर हजारों पेड़ लगे हुए थे, लेकिन बेमेतरा ओर रायपुर जिले को जोड़ने वाले मुरेठी खारुन नदी पुल के पहले सड़क के दोनों ओर केवल पेड़ों के ठूंठ ही ठूंठ नजर आ रहे हैं.

यह कोई पहला मामला नहीं है, जब धरसींवा क्षेत्र में हरे-भरे पेड़ों की नदी किनारे व गांवों के आसपास कटाई का सिलसिला लंबे समय से जारी है. कुछ जगह नदी किनारे सबूत मिटाने ठूंठ तक जला दिए गए हैं. यही हाल औद्योगिकी क्षेत्र सिलतरा के फेस टू में कुछ उद्योग सरकारी जमीन दबाने उद्योगों के चारों तरफ पौधरोपण करते हैं, इसके बाद दीवार उठाकर जमीन कब्जा कर पेड़ों को काट देते हैं. बढ़ते प्रदूषण के बीच पेड़ों की कटाई और जिम्मेदारों का मूक समर्थन समझ से परे है.

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