बीजापुर. प्रदेश में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच बीजापुर विधानसभा में भाजपा से उम्मीदवार कौन होगा, इस पर चर्चाओं का बाजार गर्म है. हालांकि भाजपा जिला संगठन की तरफ से तमाम चर्चाओं को सिरे से खारिज किया जा रहा है. बावजूद सियासी गलियारों से निकलकर चौक-चौराहों में जिस बात की चर्चा हो रही है, उसमें भाजपा नए चेहरे पर दांव खेल सकती है. नए चेहरे की तलाश में भाजपा से पूर्व मंत्री महेश गागड़ा के विकल्प में बीजापुर के तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. बीआर पुजारी के नाम की चर्चा जोरों पर है.
भाजपा प्रदेश संगठन के कद्दावर नेताओं के अलावा दिल्ली स्तर तक कुछ नेताओं के साथ पुजारी की दो से तीन दफा मुलाकात की खबरें हैं. हालांकि इन बातों में कितनी सच्चाई है ये तो वक्त ही बताएगा. लेकिन जिला संगठन के कुछ वरिष्ठ नेता दबी जुबां से डॉ. पुजारी से हाई कमान के नेताओं के साथ मुलाकात की बात को जरूर स्वीकार रहे हैं. कहा ये भी जा रहा है कि डॉ. पुजारी भी बीजापुर विधानसभा से चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं. लिहाजा वे शासकीय सेवा से जल्द इस्तीफा भी दे सकते हैं. उन्हें बस भाजपा हाईकमान के शीर्ष नेताओं से हरी झण्डी मिलने का इंतजार है.
सूत्रों के मुताबिक भाजपा के अलावा आरएसएस की तरफ से जो सर्वे कराया गया उनमें भाजपा की तरफ से अगर नए चेहरे को मौका दिया जाता है तो बीजापुर विधानसभा में भाजपा के लिए जीत की राह आसान हो सकती है. इसके लिए डॉ. पुजारी की जमीनी पकड़ को ही ठोस वजह बताई गई है. अगर पार्टी हाईकमान ऐसा कुछ निर्णय लेती भी है तो सबसे पहले जिला संगठन को विश्वास में लेने की चुनौती होगी. चूंकि जिला संगठन अब भी पूर्व मंत्री महेश गागड़ा के फेवर में है. पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का भरोसा महेश पर है. हालांकि बीते साढ़े चार सालों में गागड़ा की फील्ड में गैर मौजूदगी से थोड़ी नाराजगी भी है. लेकिन विधायक और मंत्री रहते पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से उनका तालमेल बेहतर रहा. जिसके चलते जिला बॉडी अब भी गागड़ा के नेतृत्व में चुनाव लड़ने को तैयार है.
दहशत में कार्यकर्ता
इस समय बीजापुर विधानसभा में भाजपा की जमीनी हालात कुछ ठीक नहीं हैं. भाजपा नेताओं की नक्सल हत्याओं के चलते सबसे ज्यादा कार्यकर्ताओं में दहशत है. यहां तक की भाजपा का बूथ स्तर कार्यक्रम भी नक्सली डर के चलते प्रभावित है. सूत्रों से खबर है कि नक्सली दहशत के चलते अंदरूनी क्षेत्र के कुछ पदाधिकारी रहने का ठीकाना तक बदल चुके हैं. ऐसे में जहां करीब तीन महीने के बाद चुनाव होने हैं, भाजपा जनसंपर्क अभियान में कैसे तेजी लाएगी, यह बड़ा सवाल है. हालांकि पार्टी के जिलाध्यक्ष श्रीनिवास मुदलियार का कहना है कि पूरे विषय से केंद्र भी अवगत है. मसला सुरक्षा और पदाधिकारियों-कार्यकर्ताओं की हिफाजत से जुड़ा है. लिहाजा इस पर मंथन जारी है कि सुरक्षा सुनिश्चित करने ठोस कदम उठाए जाएं.