अभिषेक मिश्रा, धमतरी। समाज सुधार की दिशा में धमतरी जिला साहू संघ बड़ा कदम उठाते हुए संशोधित एकीकृत सामाजिक नियमावली संस्करण 2023 को अंगीकार करने वाला पहला जिला बना है. इसमें नियमावली में जन्म दिन से लेकर शादी-सगाई और मृत्यु उपरांत किए जाने वाले आडंबरों का त्याग करते हुए समाज के अंतिम व्यक्ति की आर्थिक क्षमताओं का ध्यान रखते हुए सामाजिक परंपराओं के निर्वहन पर जोर दिया गया है.

जिला साहू संघ की 9 जुलाई को हुई समीक्षा बैठक में जिला अध्यक्ष अवनेन्द्र साहू, महासचिव यशवंत साहू, उपाध्यक्षगण तोरणलाल साहू, केकती साहू, अमरदीप साहू, युवराज, गोकुल, गोकरण, रेखा, सचिव लीलाराम, चोवाराम, कोषाध्यक्ष गणेशराम, अंकेक्षक नरेंद्र साहू,निरंजन, संगठन मंत्री नंदकुमार, गोपीकिशन, महेंद्र, शिवनारायण, तेजराम साहू सहित अन्य पदाधिकारियों की मौजूदगी रही.

सामाजिक कार्यशाला से प्राप्त सुझावों के साथ बैठक में जिला कार्यकारिणी, तहसील अध्यक्षों, परिक्षेत्र अध्यक्षों से मिले सुझाव के आधार पर छत्तीसगढ़ प्रदेश साहू संघ संशोधित एकीकृत सामाजिक नियमावली संस्करण वर्ष 2023 के अध्याय- 2 सामाजिक आचार संहिता नियमावली का परिपालन कड़ाई से करने के लिए निर्देशित किया गया.

इसमें जन्म / जन्मोत्सव संस्कार में घर में नया मेहमान आने की सूचना ग्रामीण अध्यक्ष और पार -पांघर अध्यक्ष को देना अनिवार्य होगा. इसके साथ सामान्य प्रसव में छट्ठी कार्यक्रम 6 दिवस के भीतर और सिजेरियन प्रसव में 1 माह में कराया जाना तय किया गया. छट्ठी कार्यक्रम में माँ और बच्चे को साड़ी /कपडे के जगह में उनके सुखद भविष्य मे आर्थिक सहयोग किया जाए. आशीर्वाद स्वरुप मिले राशि का बैंक में डिपॉजिट कर जानकारी पांघर अध्यक्ष दी जाए.

जन्मोत्सव कार्यक्रम में पश्चिमी संस्कृति का प्रतीक केक को पूर्णतः प्रतिबंधित किया जाता है. काके पानी पीना अनिवार्य किया जाता है. जन्म, जन्मोत्सव, सगाई, विवाह, वर्षगाँठ और भी अन्य आयोजनों में केक काटने को प्रतिबंध किया गया है. इसके साथ छट्ठी में रामायण कार्यक्रम आयोजन पर पारंपरिक सोहर मंगल गीत हो, फूहड़ता वाले गीत ना करें.

वहीं सगाई कार्यक्रम के लिए बनाए गए नए नियमों के तहत सगाई का पंजीयन कराना अनिवार्य होगा. रिश्ता तय होने के समय दोनों परिवार, पांघर पदाधिकारियों /सदस्यों की उपस्थिति में सगाई संपन्न कराने की संपूर्ण बातचीत (बाराती संख्या, विधि विधान /रस्म) तय कर ली जाए. सगाई रस्म केवल अंगूठी पहना कर की जाए. इसके अलावा जयमाला पहनाना एवं केक काटना, मंगलसूत्र व अन्य गहना देना प्रतिबंधित किया जाता है. इसके अलावा प्री वेडिंग फोटोशूट एवं प्री वेडिंग शॉपिंग पर प्रतिबंध लगाया गया है. वहीं यथासंभव सगाई कार्यक्रम दिन में करने की बात कही गई है.

साहू समाज ने अपने संशोधित नियमावली में विवाह गोधूलि बेला में संपन्न करने के साथ विवाह में जयमाला के समय वर-वधू को ऊपर उठाना एवं जयमाला के समय वर-वधू का नाचना प्रतिबंधित किया गया है. नेग की राशि के लिए अनावश्यक दबाव नहीं बनाने और वर पक्ष द्वारा दी गई राशि को सहर्ष से स्वीकार करने की बात कही गई है. विवाह में जूता छिपाने का नेग पूर्णत: प्रतिबंधित किया जाता है. यही नहीं जीजा की गोद में साली को बिठाना पूर्णत: प्रतिबंधित किया गया. वहीं केवल निकटतम रिश्तेदार को ही उपयोगी कपड़ा देने की बात कही गई है.

शोक अथवा मृत्यु संस्कार के लिए नियमावली में शव में केवल नजदीकी रिश्तेदारों के कफन देने के अलावा बाकी सभी के पुष्पांजलि या स्वेच्छा से अर्थदान करने की बात कही गई है. अंतिम संस्कार कार्यक्रम के दिन केवल एक ही व्यक्ति द्वारा श्रद्धांजलि सभा को संबोधित किया जाएगा. शोकाकुल परिवार में विधवा माता का चूड़ी उतारने का कार्य सम्मानपूर्वक घर में की जाए. तालाब का कार्यक्रम दोपहर 12 बजे तक संपन्न करने का प्रयास करें. जलांजलि के समय तालाब में केवल 5 वस्तु चावल, दाल,तिल,जवा,गुड / दही ही रखे, अन्य चीजों को प्रतिबंध किया जाता हैं.

इसके अलावा मृत्य संस्कार के दौरान तालाब में किसी भी प्रकार का कपड़ा भेंट ना करने, घर में श्रद्धांजलि वाले जगह में केवल मायके पक्ष से कपड़ा भेंट करने और बाकी सभी के श्रद्धा सुमन भेंट करने की बात कही गई है. इसके अलावा शांति भोज में केवल दाल, चावल, सब्जी की ही व्यवस्था की जाए. नाश्ता एवं कलेवा को पूर्णतः प्रतिबंधित किया गया है.

इसके अलावा समाज के लिए माह के प्रत्येक 1 तारीख को अपने अपने ग्राम में कर्मा आरती करने के साथ सामाजिक, धार्मिक चर्चा करने, प्रत्येक गांव में अनिवार्य रूप से महिला प्रकोष्ठ, युवा प्रकोष्ठ का गठन करने, सामाजिक कार्यक्रमों में अतिथियों का स्वागत अभिनंदन, चंदन का टीका लगाकर करने और भेंट स्वरुप कपड़ा/फेटा को देने पर प्रतिबंधित लगाया गया है. यही नहीं विधवा बहन, माताओं को सभी मांगलिक कार्यक्रमों में शामिल होने का अधिकार देने के साथ विधवा विवाह को आदर्श विवाह के रूप में मान्यता दिया गया है.