प्रतीक चौहान. रायपुर. डकैती में शामिल आईजी के अनिवार्य सेवानिवृत्ति के बाद अब उनकी शिकायत रायपुर एसएसपी से की गई है. जिसमें पीड़ित ने आरोप लगाया है कि वे अपने आप को बतौर आईजी बताते हुए जेल भिजवाने की धमकी दे रहे है. हम बात कर रहे है 1992 बैच के आईपीएस राजकुमार देवांगन की, जिन्हें विभाग ने डकैती में शामिल होने  की पूरी जांच के बाद अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी.

 लल्लूराम डॉट कॉम को पुलिस विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक रिटायर्ड आईजी राजकुमार देवांगन के खिलाफ लाखेनगर निवासी अमित वलेचा नाम के व्यक्ति ने शिकायत दी है. जिसमें ये आरोप लगाया गया है कि उन्होंने अपनी एक जमीन का सौदा राजकुमार देवांगन से किया था. इसके बाद एक इकरारनामा हुआ था.

लेकिन बदले में जो 5 लाख का चेक दिया या था वह बाउंस हो गया और जमीन मालिक बार-बार राजकुमार देवांगन के चक्कर लगाते रहे, लेकिन उन्हें कोई रकम नहीं दी गई. जिसके बाद ये जमीन उन्होंने किसी अन्य को बेच दी. लेकिन अब राजकुमार देवांगन उन्हें अपने आप को आईजी बताते हुए ये धौंस दे रहे है कि वे उन्हें फ्राड के केस में जेल भिजवा देंगे. जिसके बाद पीड़ित ने रायपुर एसएसपी से इस पूरे मामले की शिकायत की है.

क्या था आईजी के डकैती का पूरा मामला

वर्ष 2017 में करीब 19 साल पुराने बाराद्वार डकैती कांड में संलिप्त रहने के आरोप में भारतीय पुलिस सेवा 1992 बैच के अधिकारी राजकुमार देवांगन को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई थी. लल्लूराम डॉट कॉम को मिली जानकारी के मुताबिक उनसे 11 साल 6 महीने 13 दिन पहले नौकरी छीन ली गई. तब किसी दागी आईपीएस पर देश की यह सबसे बड़ी कार्रवाई बताई गई थी. बता दें कि गृह विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश के बाद यह कार्रवाई की थी.

तत्कालीन आईजी होमगार्ड देवांगन के केस की विभागीय जांच तत्कालीन डीजी होमगार्ड गिरधारी नायक कर रहे थे. जांच के बाद रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपी गई थी. जिसमें ये बताया गया था कि 1998 में अविभाजित मध्यप्रदेश के बाराद्वार (जांजगीर) में 65 लाख रुपए की डकैती हुई थी. शिक्षकों के वेतन की रकम हेडमास्टर से रास्ते में कुछ लोगों ने लूट ली. इसमें से कुछ पैसा बाराद्वार के थानेदार नरेंद्र मिश्रा के घर से बरामद हुआ.

 मिश्रा कुछ महीने जेल में रहे तो उन्होंने एसपी देवांगन पर भी डकैती में संलिप्त होने का इशारा किया. इसके बाद सरकार ने देवांगन को सस्पेंड कर दिया था. महकमे ने 14 साल बाद 2012 में चार्जशीट इश्यू की. देवांगन के जवाब से संतुष्ट न होने पर सरकार ने विभागीय जांच की अनुशंसा की और उन्हें पुलिस मुख्यालय से हटाकर आईजी होमगार्ड नियुक्त किया गया था.