अनिल सक्सेना, रायसेन। मध्य प्रदेश में सरकार भले ही जन्म से लेकर मृत्यु तक तमाम सरकारी योजनाओं का बखान कर अपनी पीठ थपथपाती हो, लेकिन जमीनी हकीकत आज भी ऐसे दावों से कोसों दूर है. रायसेन जिले की सिलवानी तहसील के ग्राम सियरमऊ में बरसात के सीजन में किसी की मौत हो जाने पर मुसीबतों की डबल मार झेलनी पड़ती है. यहां दुख के माहौल में लोगों को मृत व्यक्ति के अंतिम संस्कार तक के लिए बड़े जतन करना पड़ते हैं. श्मशान घाट तक कीचड़ दलदल से भरा रास्ता जैसे तैसे पार हो भी जाए, तो यहां बिना टीन सेड के श्मशान घाट पर चिता को अग्नि देना किसी चुनौती से कम नहीं है. ऐसे में सरकार के तमाम दावों की पोल खोलती है. तस्वीरें मानवता को शर्मसार भी करती हैं.

इन दिनों हो रही मुसीबत की बारिश से मृत्यु के शोक में डूबा हुआ एक परिवार आंखों में आंसू लिए अपने स्वजन के अंतिम संस्कार के लिए पानी रुकने का इंतजार करता है. जैसे तैसे पानी रुकने के बाद शव की अंतिम यात्रा निकलती हैं, तो रास्ते में कीचड़ दलदल से शव यात्रा निकालना किसी चुनौती से कम नहीं है. मुक्तिधाम पहुँचने पर झाड़ियों और कांटे कीचड़ के बीच शव पर तिरपाल लगाकर अंतिम संस्कार करना इस गांव की मजबूरी है.

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ऐसे में शव को मुखाग्नि देने के दौरान ही तेज बारिश शुरू हो जाती है. शोक में डूबे परिवार पर बारिश डबल मुसीबत साबित होती हैं. फिर किसी तरह सभी लोग लाठियों के सहारे तिरपाल लगाते हैं और फिर अंतिम संस्कार करते हैं. शासकीय व्यवस्थाओं की बेबसी का यह दृश्य सिलवानी तहसील की राजमार्ग किनारे बसे ग्राम सियरमऊ का हैं.

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गीली लकड़ियों से बरसते पानी और टीन शेड के अभाव में किस तरह अंतिम संस्कार किया गया होगा. इसका सिर्फ हम अंदाजा ही लगा सकते हैं लेकिन यह सच्ची घटना सियरमऊ के साहू परिवार पर बीती हैं. जिनके यहां एक बुजुर्ग का देहांत हो गया था. सोमवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाना था. अंतिम संस्कार के बीच बारिश आ गई और यहां टीन शेड न होने की वजह से गांव वालों को तिरपाल के नीचे अंतिम संस्कार करना पड़ा.

शव जलने तक लोग लाठियों के सहारे तिरपाल को संभाले रहे. यहाँ के ग्रामीणों ने बताया कि बारिश के मौसम में किसी की मृत्यु हो जाने पर काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. जिसने भी वहां यह दृश्य देखा उसकी आंखों में क्रोध भर आया. ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम पंचायत द्वारा यहां कोई कार्य नहीं कराया गया. मुक्तिधाम में टीनशेड, तार फेसिंग नहीं होने से लोगों ने रोष जाहिर कर यहां टीनशेड व अन्य सुविधाएं देने की मांग की है. वही ग्रामीणों ने इसको लेकर आंदोलन की चेतावनी भी दी है.

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वही जनपद पंचायत प्रशासन के दावों की माने तो सियरमऊ काफी बड़ा गांव है, जहां तीन श्मशान घाट है. इनमें से मुख्य श्मशान घाट पर तो टीन शेड बना हुआ है, लेकिन गांव के दो अन्य श्मशान घाटों पर अभी उन्नयन कार्य किया जाना बाकी है.

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